गोरखपुर पुलिस ने पशु तस्करों के एक बड़े और संगठित नेटवर्क को ध्वस्त किया है। इस ऑपरेशन में गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई और एक मुठभेड़ शामिल है, जिसके बाद ₹25,000 के इनामी तस्कर को गिरफ्तार किया गया। जानिए कैसे पुलिस ने इस अंतरराज्यीय गिरोह की कमर तोड़ी है।
गोरखपुर: गोरखपुर में पशु तस्करी के खिलाफ पुलिस ने एक बड़ा अभियान छेड़ रखा है। यह कार्रवाई सिर्फ चंद बदमाशों की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है, बल्कि एक संगठित और अंतरराज्यीय नेटवर्क को ध्वस्त करने की एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है। इस ऑपरेशन ने पशु तस्करी के एक बड़े सच को उजागर किया है, जिसके तार यूपी से लेकर बिहार तक फैले हुए हैं। पुलिस ने सात वांछित पशु तस्करों की सूची जारी कर प्रत्येक पर 25,000 रुपये का इनाम घोषित किया है। हाल ही में दो तस्करों, शाहरुख और इमरान अली, को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें से एक मुठभेड़ के बाद पकड़ा गया है। पुलिस ने इन अपराधियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत भी कार्रवाई शुरू कर दी है, जिससे इस नेटवर्क की कमर तोड़ी जा सके।
यह सिर्फ़ कुछ गिरफ्तारियां नहीं, एक बड़ा संगठित नेटवर्क है
गोरखपुर पुलिस की यह कार्रवाई चंद तस्करों के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह एक बड़े और संगठित नेटवर्क पर फोकस है। पुलिस ने शनिवार—रविवार को एक साथ सात वांछित तस्करों की सूची जारी की है और हर एक पर इनाम घोषित किया है। पुलिस ने हाल में ही इनामी पशु तस्करों शाहरुख और इमरान अली को मुठभेड़ में दबोच लिया है। यह इस बात का सबूत है कि पुलिस इस रैकेट की कमर तोड़ने के लिए वे सारे हथकंडे अपना रही है जो जरूरी हैं।
मामला सिर्फ गोरखपुर का नहीं, तार बिहार तक फैले हैं
पशु तस्करों का जाल एक जिले या शहर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक अंतरराज्यीय नेटवर्क है। इसकी वजह से इस नेटवर्क को तोड़ पाना पुलिस के लिए चुनौती है। वांछित और गिरफ्तार तस्करों के पते इस गिरोह के भौगोलिक जाल को उजागर करते हैं। अब तक जितने भी अपराधी दबोचे गए हैं, वे यूपी के गोरखपुर, कुशीनगर, रामपुर, संभल, उन्नाव और फतेहपुर के साथ-साथ बिहार के मुजफ्फरपुर और गोपालगंज से ताल्लुक रखते हैं। जाहिर है कि इस तरह के अंतरराज्यीय जाल का खात्मा कर पाना किसी एक जिले की पुलिस के वश की बात नहीं है, लेकिन गोरखपुर पुलिस अब इस फ्रंट पर आरपार का मन बना चुकी है।
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पुलिस का कड़ा रुख: यह सिर्फ तस्करी नहीं, संगठित अपराध है
अधिकारी इसे सिर्फ साधारण पशु तस्करी का मामला नहीं मान रहे हैं। परवेज आलम, अजय कुमार गौड़, इमरान अली और शाहरुख सहित कई व्यक्तियों के खिलाफ कड़े गैंगस्टर एक्ट के तहत मामले दर्ज किए जा रहे हैं। गैंगस्टर एक्ट का प्रयोग केवल सजा बढ़ाने के लिए नहीं है; यह पुलिस को एक व्यक्ति के बजाय पूरे नेटवर्क की संपत्तियों को जब्त करने और उनकी कमर तोड़ने का अधिकार देता है। कार्रवाई की गंभीरता का अंदाजा बेलघाट क्षेत्र में हुई पुलिस मुठभेड़ से लगाया जा सकता है, जहां तस्कर इमरान अली को गिरफ्तार करने से पहले उसके पैर में गोली लगी। इस तलाशी अभियान में क्राइम ब्रांच और एसटीएफ जैसी कई विशेष पुलिस इकाइयां शामिल हैं।
हर बड़े तस्कर की ‘कीमत’ 25,000 रुपये
गोरखपुर पुलिस ने सभी सात वांछित तस्करों में से प्रत्येक पर ₹25,000 का इनाम घोषित किया गया है। इतना ही नहीं, गिरफ्तार किए गए तस्करों इमरान अली और शाहरुख पर भी इतनी ही राशि का इनाम था। यह इस बात का संकेत है कि पुलिस इस पूरे नेटवर्क को एक संगठित गिरोह के रूप में देख रही है, जिसमें हर बदमाश पुलिस के उतना ही महत्वपूर्ण है। पुलिस उन्हें इस तरह नहीं देख रही कि किसी एक सरगना के नीचे काम करने वाले छोटे-मोटे गुर्गे हों।
क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इन मामलों की गंभीरता की पुष्टि की है। इमरान अली की गिरफ्तारी के संबंध में एसपी साउथ, जितेंद्र कुमार तोमर का बयान इस बात को पुष्ट करता है। एसपी तोमर ने कहा, “बेलघाट पुलिस ने मुठभेड़ में एक पशु तस्कर इमरान को गिरफ्तार किया है। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इमरान पर 12 आपराधिक केस दर्ज हैं। इसमें गो-तस्करी, आर्म्स एक्ट और गैंगस्टर एक्ट भी शामिल है।” यह बयान इस बात का सटीक उदाहरण है कि यह नेटवर्क महज़ साधारण तस्करों का नहीं, बल्कि 12-12 आपराधिक मामलों के इतिहास वाले हार्डकोर अपराधियों का अड्डा है।