एकाउंटैंट सदीप सिंह मरीज और उनकी शिक्षिका पत्नी अंकिता सिंह के साथ हुई घटना

GO GORAKHPUR:  गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों ने निदान के लिए भर्ती राजकीय सेवा में तैनात एक शिक्षित परिवार की ड्यूटीरूम में, फिर कमरेेे में बंदकर पिटाई की. सबूत मिटाने के लिए मोबाइल का वीडियो नष्ट कराया और उल्टे छेड़खानी का आरोप लगाते हुए कागज पर कुबूलनामा लिखवाया. पुलिस आई तब मरीज की जान बची. 
जब विद्यार्थी ऐसे तो गुंडे कैसे
यह सब तब होता रहा जब मेडिकल कालेज के मुखिया अर्थात प्रधानाचार्य वहीं कार्यरत होते हैं और दर्जनभर से अधिक विभिन्न संकायों के विभागाध्यक्ष सेवाएं देते हैं. ये जूनियर डाक्टर वहां के ‘‘चिकित्सा विज्ञान के विद्यार्थी‘‘ की श्रेणी में आते हैं. यह समाज के सबसे जिम्मेदार ‘‘विद्यार्थी‘‘ का आचारण है. उन्हें सरकार से वार्षिक औसतन 4 लाख रूपये का स्टाइपेंड मिलता है. इसे किसी गुंडे के आचरण से सामान्य जन कैसे अलग करते होंगे कहना मुश्किल.
क्या हुआ, कैसे हुआ 
देवरिया जिले के बरहज इलाके के कपरवार निवासी संदीप सिंह (35) कुशीनगर जिले के डीपीआरओ ऑफिस में अकाउंटेंट के पद पर तैनात हैं. बुधवार रात पेट में तकलीफ हुई, तबीयत खराब हो गई. परिजन जिला अस्पताल ले गए, जहां से डॉक्टरों ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया.
यहां मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन वार्ड नंबर-11 के बेड नंबर 65 पर देर रात उन्हें भर्ती किया गया. मरीज के साथ उनकी पत्नी अंकिता सिंह भी थीं. अंकिता जेडीएस इंटरमीडिएट कॉलेज पड़रौना में शिक्षिका कार्यरत बताई गईं. 
साहब! मरीज को डिस्चार्ज कर दें-बस यही फरियाद हो गई काल 
गुरुवार दोपहर 2 बजे मरीज ने जूनियर डॉक्टर से डिस्चार्ज करने की बात कही तो उन्होंने मना कर दिया. इस पर अंकिता सिंह ने डिस्चार्ज के लिए निवेदन किया तो जूनियर डॉक्टर ने उन्हें गाली दी. अंकिता और उनके पति संदीप ने जब विरोध किया तो जूनियर डॉक्टर आग बबूला हो गए. मौके पर मौजूद जूनियर डॉक्टरों ने अन्य साथियों को बुलाकर संदीप अर्थात मरीज को ड्यूटी रूम में ले जाकर बंद कर दिया. इसके बाद 6 से ज्यादा जूनियर डॉक्टर कमरे में पहुंचकर संदीप अर्थात मरीज को लात, जूतों और बेल्ट से मारना शुरू कर दिया.
पीटा और उल्टे कुबूलनामा लिखवाया
अंकिता सिंह का कहना है कि वे तब तक मारते रहे जब तक उनके मरीज पति अधमरा नहीं हो गए. इसके बाद कागज पर उनसे जबरदस्ती कुबूलनामा लिखवाया कि उन्होंने नर्स के साथ छेड़छाड़ की है. कुबूलनामा लिखने के दौरान एक भी शब्द गलती हो जाता तो वे उनके मरीज पति की बेल्ट और लात से पिटाई करते. वह हाथ जोड़कर निवेदन करती रहीं लेकिन जूनियर डॉक्टरों को मरीज और तिमारदार पर दया नहीं आई. 
वीडियो मिटवाया और मोबाइल फार्मेट कर दिया
अंकिता ने बताया कि मरीज पति की पिटाई के साथ ये डाक्टर जब उन्हें घसीटकर कमरे में ले जा रहे थे तो उन्होंने वीडियो बनाना शुरू किया. एक जूनियर डॉक्टर ने इसे देख लिया. फिर क्या उसने मोबाइल छीन लिया, जबरन मोबाइल का लॉक खुलवाया. वीडियो डिलीट करके मोबाइल को फॉर्मेट मार दिया. 
इंस्पेक्टर गुलरिहा संजय सिंह का कहना है, मामले की जांच की जा रही है. जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. 
शिकायत दर शिकायत पर होता कुछ नहीं  
6 अप्रैल 2023ः इलाज में देरी से पहुंचने पर महराजगंज के एक मरीज ने जूनियर डॉक्टरों से सवाल कर दिया. इसके बाद जूनियर डॉक्टरों ने कमरे में बंद कर उसकी पिटाई की.
11 फरवरी 2023ः कैंट इलाके के रूस्तमपुर के रहने वाले एक तीमारदार से उसकी मां के आपरेशन के नाम पर डॉक्टर ने 40 हजार रुपए मांगे. सवाल जवाब पर पिटाई की.
3 फरवरी 2022 : जूनियर डॉक्टर ने एक दिव्यांग को पुलिस के सामने कमरे में बंद कर पीटा था. बचाने आई उसकी पत्नी को भी डॉक्टरों ने लात- घुसे मारे थे.
29 अक्टूबर 2022 : पिपराइच इलाके के घनश्याम राजभर ने डॉक्टरों पर मरीज के इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया तो जूनियर डॉक्टरों ने उनकी पिटाई कर दी.
4 अगस्त 2022 : सिद्धार्थनगर के युवक ने भी मरीज के इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया तो जूनियर डॉक्टरों ने उसे पकड़कर बुरी तरह पीट दिया.
2 अगस्त 2022 : सहजनवा के रहने वाले कुंवर को बीआरडी में एक्सपॉयर ब्लॅड चढ़ा दिया गया. जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उनकी डॉक्टरों ने पिटाई कर दी.
21 अगस्त 2021 : जूनियर डॉक्टर एक व्यक्ति की पिटाई कर रहे थे. उनकी बेटी जब इसका वीडियो बनाने लगी तो जूनियर डॉक्टरों ने युवती की भी पिटाई की.
25 जुलाई 2019 : बीआरडी के मेडिसिन वार्ड नंबर 9 में भर्ती रामदुलारे को जूनियर डॉक्टरों ने दौड़ाकर बुरी तरह से पीटा.
12 जुलाई 2019 : बीआरडी में इलाज के दौरान मरीज आनंद कुमार चौरसिया की मौत हो गई. परिवार के लोगों ने दोबारा जांच की मांग की तो जूनियर डॉक्टरों ने दौड़कर पीटा.
22 अप्रैल 2019 : बीआरडी में इलाज के दौरान अंशु नाम के मरीज की मौत हो गई. परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाया तो डॉक्टरों ने परिवार के लोगों को बुरी तरह से पीट दिया.
6 दिसंबर 2019 : मेडिसिन वार्ड में देवरिया के तीमारदार को भी जूनियर डॉक्टरों ने बेरहमी से पीट दिया.
10 सितंबर 2018 : सर्जरी वार्ड नंबर 4 में भर्ती मरीज आकांक्षा के पिता कोमल को जूनियर डॉक्टरों ने बुरी तरह से पीटा था.
12 सितंबर 2018 : बीआरडी के मेडिसिन वार्ड में भर्ती मरीज को देखने आई देवरिया की महिला को यहां के डॉक्टरों ने पीटा था.
8 नवंबर 2016 : बीआरडी के ट्रामा सेंटर में भर्ती मरीज खुशबू के परिवार के लोगों को भी जूनियर डॉक्टरों ने बुरी तरह से पीटा था.
 
अपनी बात 
कैरियर खराब होने से पुलिस और कालेज सभी बचते
सूत्र बताते हैं कि आपराधिक कृत्य प्रमाणित होने से पुलिस और चिकित्सा प्रशासन सभी बचते/बचाते हैं. सभी अपनी जिम्मेदारी एक दूसरे पर ठेल किनारा कसते हैं. मरीजों के साथ असम्मानजनक या आपराधिक आचरण करने से ये चिकित्सा छात्र/ जूनियर डाक्टर इसीलिए बाज नहीं आते. संगठित होकर ऐसी किसी कारगुजारी का ये पुरजोर विरोध करते हैं. अपने बचने का रास्ता बनाने में हमेशा कामयाब होते रहते हैं. उधर मरीज भी घटना के बाद पुलिसिया छानबीन अथवा मुकदमेबाजी से बचना चाहते हैं. संभवतः कानून इसीलिए अपना काम नहीं कर पाता. alert-info
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By गो गोरखपुर

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