गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDU) और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMUT) ने एक बार फिर शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान दर्ज कराई है। दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक रैंकिंग एजेंसी ‘क्यूएस’ (क्वाक्वेरेली साइमंड्स) द्वारा मंगलवार को जारी QS एशिया रैंकिंग (2026) में गोरखपुर के इन दोनों प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों ने जगह बनाई है। यह रैंकिंग DDU के लिए लगातार तीसरी और MMMUT के लिए लगातार दूसरी बार है। हालाँकि, इस बार अधिक संस्थानों को शामिल किए जाने के कारण दोनों की रैंकिंग में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट दर्ज की गई है, जबकि उनके प्रदर्शन स्कोर में शानदार सुधार हुआ है।
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शानदार सुधार के बावजूद रैंकिंग में गिरावट क्यों?
DDU ने जहाँ QS एशिया रैंकिंग में 1001-1100 के बैंड में स्थान पाया है और दक्षिण एशिया में 330वीं रैंक हासिल की है, वहीं MMMUT 1301-1400 के बैंड में रहा और दक्षिण एशिया में 421वीं रैंक पर जगह बनाई। खास बात यह है कि इस वर्ष QS ने 1.98 करोड़ शोधपत्रों और 20 करोड़ साइटेशनों का विश्लेषण किया है, जो अब तक का सबसे व्यापक आकलन है। अधिकारियों ने रैंकिंग में आई गिरावट का मुख्य कारण इस बार रैंकिंग में शामिल किए गए संस्थानों की बढ़ी हुई संख्या को बताया है। पिछले वर्ष (2025) की रैंकिंग में DDU दक्षिण एशिया में 240वें स्थान पर था और MMMUT 292वें स्थान पर था।
DDU के ओवरऑल स्कोर में 55% की बड़ी वृद्धि
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अपने प्रदर्शन के लगभग सभी मापदंडों पर सुधार किया है। DDU के समग्र स्कोर में पिछले वर्ष के 10 से बढ़कर 15.5 तक की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो कुल 55 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। विश्वविद्यालय ने ‘अंतर्राष्ट्रीय शोध नेटवर्क’ स्कोर में सात गुना की बड़ी छलांग लगाते हुए 2.7 से बढ़कर 20.9 का स्कोर हासिल किया है। इसके अलावा, ‘पीएचडी धारक शिक्षकों का अनुपात’ 73.5 से बढ़कर 86 हो गया है और ‘प्रति शिक्षक शोधपत्र’ की संख्या भी 5.4 से बढ़कर 8.2 तक पहुँची है।
MMMUT का समग्र स्कोर हुआ दोगुना से अधिक
मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रदर्शन में भी जबरदस्त सुधार देखने को मिला है। MMMUT का ओवरऑल स्कोर दोगुने से भी अधिक होकर 4.7 से बढ़कर 9.5 हो गया है। सबसे बड़ा सुधार ‘पीएचडी धारक फैकल्टी’ बिंदु पर दर्ज किया गया है, जहाँ स्कोर 1.6 से बढ़कर 17.8 हो गया, यानी 1012 प्रतिशत की वृद्धि। ‘अंतर्राष्ट्रीय शोध नेटवर्क’ में भी 693 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे स्कोर 1.5 से बढ़कर 11.9 हो गया है। इसके साथ ही, ‘शोध पत्र प्रति फैकल्टी’ स्कोर 27.6 से बढ़कर 45.9 हो गया है, और कुल शोध पत्रों की संख्या 1266 से बढ़कर 1508 हो गई है, जो शोध के प्रति विश्वविद्यालय के समर्पण को दर्शाता है।
यूपी के केवल आठ राज्य विश्वविद्यालयों को मिला स्थान
इस प्रतिष्ठित क्यूएस रैंकिंग में एशिया के 1526 और भारत के 294 विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया है। उत्तर प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है कि यहाँ के केवल आठ राज्य विश्वविद्यालय ही इस सूची में जगह बना पाए हैं, जिनमें गोरखपुर के ये दोनों संस्थान शामिल हैं। DDU की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने इस प्रदर्शन को शोध, नवाचार और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर केंद्रित दृष्टिकोण की सफलता बताया। वहीं, MMMUT के कुलपति प्रो. जेपी सैनी ने इस उपलब्धि का श्रेय समर्पित फैकल्टी, शोधकर्ताओं और छात्रों की कड़ी मेहनत को दिया है और इसे शैक्षणिक उत्कृष्टता का प्रतीक बताया है।


