Gorakhpur: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में मंगलवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 57वीं पुण्यतिथि पर “उनके जीवन एवं विचार” विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया.
विभागाध्यक्ष प्रो. राजेश कुमार सिंह ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के राष्ट्रजीवन दर्शन के प्रमुख निर्माता थे. उन्होंने एकात्म मानववाद की विचारधारा दी, जो भारतीय परंपरा और आधुनिकता का समन्वय है.
उन्होंने कहा कि दीनदयाल जी का चिंतन भारतीय समाज और संस्कृति से जुड़ा था. “वसुधैव कुटुम्बकम” के सिद्धांत को व्याख्यायित करते हुए उन्होंने बताया कि भारतीय सभ्यता में सभी धर्मों को समान अधिकार हैं. उन्होंने संस्कृति को व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के विचारों, आचार-व्यवहार और सभ्यता की अभिव्यक्ति बताया.
प्रो. सिंह ने कहा कि वर्तमान मोदी सरकार की नीतियां दीनदयाल जी के अंत्योदय के विचार से प्रेरित हैं. दीनदयाल जी का उद्देश्य सामान्य मानव का कल्याण था.
कार्यक्रम में प्रो. रजनीकांत पांडे, प्रो. गोपाल प्रसाद, प्रो. रूसीराम महानंदा, डॉ महेंद्र कुमार सिंह ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. महेंद्र कुमार सिंह ने किया.
उधर, मनोविज्ञान विभाग में भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर उनके जीवन और विचारों पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया.
एम.ए. चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा समिक्षा मिश्रा ने दीनदयाल जी के प्रारंभिक जीवन और शिक्षा पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि दीनदयाल जी का जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा में हुआ था और उन्होंने कानपुर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी.
छात्रा शिवांगी पाण्डेय ने उनके राजनीतिक जीवन पर चर्चा की. छात्र हिमांशु कुमार सिंह ने दीनदयाल जी के सामाजिक और आर्थिक विचारों पर प्रकाश डाला. इस व्याख्यान में दीनदयाल जी के जीवन और विचारों को विस्तार से समझाया गया और उनके योगदान को याद किया गया.
इस दौरान विभागाध्यक्ष प्रो. धनंजय कुमार, डॉ. गिरिजेश कुमार यादव, डॉ रश्मि रानी, डॉ. राम कीर्ति सिंह सहित एम ए द्वितीय व चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थी उपस्थित रहे.