डीडीयू की कुलपति प्रो. पूनम टंडन को ‘कर्नल कमांडेंट’ की मानद उपाधि से नवाजा गया

गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण रहा, जब उसकी कुलपति प्रो. पूनम टंडन को भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय द्वारा ‘कर्नल कमांडेंट’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। यह प्रभावशाली पिपिंग समारोह मंगलवार को विश्वविद्यालय परिसर स्थित महायोगी गुरु गोरखनाथ शोधपीठ में आयोजित किया गया। गोरखपुर ग्रुप के ग्रुप कमांडर ब्रिगेडियर परिमल भारती ने स्वयं यह सम्मान प्रो. टंडन को प्रदान किया।
एकमात्र महिला कुलपति जिन्होंने यह सम्मान पाया
प्रो. पूनम टंडन रक्षा मंत्रालय से ‘कर्नल कमांडेंट’ का सम्मान प्राप्त करने वाली देश की एकमात्र महिला कुलपति बन गई हैं, जो उनकी असाधारण नेतृत्व क्षमता और एनसीसी के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है। इस अवसर पर कर्नल विशाल दुबे (उप ग्रुप कमांडर, गोरखपुर ग्रुप), कर्नल ए. पी. सिंह (कमांडिंग ऑफिसर, 15 यूपी गर्ल्स बटालियन), और लेफ्टिनेंट कर्नल रमन तिवारी (कमांडिंग ऑफिसर, 44 यूपी बटालियन, गोरखपुर) सहित कई एनसीसी अधिकारी उपस्थित रहे।
कुलपति ने इसे सामूहिक उपलब्धि बताया
इस सम्मान पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए प्रो. पूनम टंडन ने कहा, “यह मेरे लिए एक बहुत बड़ा सम्मान है। मैं इस उपाधि को अपनी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय की सामूहिक भावना और योगदान की मान्यता के रूप में देखती हूँ।”
उन्होंने एनसीसी और विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डालते हुए बताया, “दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्वतंत्रता के बाद स्थापित होने वाला पहला विश्वविद्यालय था। इसकी स्थापना 1956 में हुई थी, जो वही वर्ष है जब एनसीसी की भी स्थापना हुई। यह हमारे गहरे और ऐतिहासिक संबंधों को दर्शाता है।”
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प्रो. टंडन ने आगे कहा कि विश्वविद्यालय की एनसीसी इकाई में 350 से अधिक सक्रिय कैडेट हैं, जो सामाजिक सेवा, रक्तदान शिविरों और हाल की मॉक ड्रिल्स जैसी गतिविधियों में लगातार भाग ले रहे हैं। उन्होंने जोर दिया कि ये कार्य राष्ट्रीय एकता और जनकल्याण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। उन्होंने बताया कि हर साल डीडीयू से 20 से अधिक छात्र राष्ट्रीय और रक्षा सेवाओं में चयनित होते हैं, जो एनसीसी द्वारा विकसित अनुशासन और कौशल का प्रमाण है।
प्रो. टंडन ने इस अवसर को और भी गौरवपूर्ण बताते हुए कहा, “यह हमारे लिए गर्व की बात है कि देश के माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह भी हमारे विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं। हम रक्षा मंत्रालय को इस सम्मान और निरंतर सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद देते हैं।”
ब्रिगेडियर परिमल भारती ने नेतृत्व की सराहना की
मुख्य अतिथि ब्रिगेडियर परिमल भारती ने अपने संबोधन में कहा, “यह अत्यंत गर्व और विशेष अवसर है जिसमें हम सभी एकत्रित हुए हैं। मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि 15 गर्ल्स बटालियन और 44 बटालियन का गोरखपुर विश्वविद्यालय से घनिष्ठ और सीधा संबंध रहा है।”
उन्होंने कुलपति महोदया के असाधारण योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में एनसीसी गतिविधियों को अत्यधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है और विश्वविद्यालय प्रशासन का सहयोग सराहनीय रहा है। ब्रिगेडियर भारती ने एनसीसी के उद्देश्य पर भी जोर दिया, जिसमें कैडेट्स में अनुशासन, नेतृत्व और देशभक्ति की भावना विकसित करना शामिल है ताकि वे जिम्मेदार नागरिक के रूप में राष्ट्र की सेवा कर सकें। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में एनसीसी के लिए उच्च गुणवत्ता की प्रशिक्षण अवसंरचना उपलब्ध है, जिसमें बाधा प्रशिक्षण और फायरिंग अभ्यास के लिए आधुनिक सिम्युलेटर भी शामिल हैं।
डीआईजी एन. एन. डी. दुबे ने भविष्य की चुनौतियों पर दिया जोर
विशिष्ट अतिथि और कीर्ति चक्र प्राप्तकर्ता, सेवानिवृत्त डीआईजी श्री एन. एन. डी. दुबे ने 13 वर्षों बाद ऐसा विशेष अवसर मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने प्रो. पूनम टंडन को दूरदर्शी, सक्षम और प्रेरणादायक नेतृत्वकर्ता बताते हुए बधाई दी। गर्ल्स बटालियन के प्रदर्शन पर गर्व व्यक्त करते हुए उन्होंने इसे भारत की बदलती राष्ट्रीय और सामाजिक चेतना का प्रतीक बताया।
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि जल्द ही एनसीसी कैडेट्स की संख्या 17 लाख से बढ़कर 20 लाख होने जा रही है, जो युवाओं में जिम्मेदारी की भावना का प्रमाण है। दुबे ने वर्तमान भू-राजनीतिक चुनौतियों पर जोर देते हुए कहा कि भारत को सतर्क, तैयार और एकजुट रहना होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्र भविष्य में राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे और विश्वविद्यालय तथा एनसीसी के बीच समन्वय ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी सफलताओं में सहायक रहा है।
समारोह के अंत में प्रो-वाइस चांसलर प्रो. शंतनु रस्तोगी ने धन्यवाद ज्ञापन किया, जिसमें उन्होंने प्रो. पूनम टंडन जैसे कुलपति मिलने को सौभाग्य बताया और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के एनसीसी अधिकारी, अन्य अधिकारीगण, डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण और एनसीसी कैडेट्स भी उपस्थित रहे।