विभाग के अध्यक्ष प्रो. कमलेश कुमार गुप्त ने कहा कि ‘प्रसाद’ की रचनाएं अतिवादिता के विरुद्ध
Gorakhpur: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी एवं आधुनिक भारतीय भाषा तथा पत्रकारिता विभाग में गुरुवार को जयशंकर ‘प्रसाद’ की जयंती पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. प्रसाद पर विभाग की ओर से यह पहला आयोजन था. इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में उत्तर पूर्व पर्वतीय विश्वविद्यालय, शिलांग के प्रो. हितेंद्र मिश्र ने ‘प्रसाद’ की रचनाओं पर अपने विचार रखे और कहा कि आज ‘प्रसाद’ को नए ढंग से पढ़ने की ज़रूरत है.
प्रो. मिश्र ने ‘प्रसाद’ की विभिन्न रचनाओं का सन्दर्भ देते हुए कहा कि आज के समय में ‘प्रसाद’ के साहित्य को नए दृष्टिकोण से समझने और उसका विश्लेषण करने की आवश्यकता है. उन्होंने ‘प्रसाद’ के साहित्य की प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डाला.
कार्यक्रम में हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार राय ने ‘प्रसाद’ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘प्रसाद’ का साहित्य देश के लगभग सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल है. उन्होंने कहा कि ‘प्रसाद’ विमर्श के पोलिटिकल करेक्टनेस में फंसे हैं और उन्हें इससे मुक्त कराने की आवश्यकता है.
विभाग के अध्यक्ष प्रो. कमलेश कुमार गुप्त ने कहा कि ‘प्रसाद’ की रचनाएं अतिवादिता के विरुद्ध हैं. उन्होंने बताया कि ‘प्रसाद’ पर यह विभाग का पहला आयोजन है. अब तक ‘प्रसाद’ पर विभाग की ओर से कोई आयोजन क्यों नहीं हुआ? इसके जवाब में विभागाध्यक्ष ने कहा कि अच्छी शुरुआत कभी की जा सकती है. कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने ‘प्रसाद’ की कविताओं का पाठ भी प्रस्तुत किया.
इस आयोजन में प्रो. बिमलेश मिश्र ने ‘प्रसाद’ के साहित्य और समाज में उसके योगदान पर अपने विचार रखे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. अखिल मिश्र ने और धन्यवाद ज्ञापन विभाग के साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति के संयोजक प्रो. राजेश कुमार मल्ल ने किया.