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रामगढ़ताल में पहुंचे लंबी चोंच और गुलाबी लंबी टांगों वाले पक्षी, जानें क्या है इनकी खासियत

रामगढ़ताल में पहुंचे लंबी चोंच और गुलाबी लंबी टांगों वाले पक्षी, जानें क्या है इनकी खासियत

यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में विलुप्तप्राय है यह पक्षी

रामगढ़ताल में पहुंचे लंबी चोंच और गुलाबी लंबी टांगों वाले पक्षी, जानें क्या है इनकी खासियत
रामगढ़ झील का एक मनोहारी दृश्य. फाइल फोटो

Gorakhpur: गोरखपुर में जैसे ही मौसम और सर्द हुआ, वैसे ही रामगढ़ताल में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है. अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाने वाली रामगढ़ताल अब इन पंखों वाले मेहमानों के आगमन से और भी जीवंत हो गया है. हाल ही में यहां बड़ी संख्या में ब्लैक विंग स्टिल्ट पक्षी (Black winged stilt birds) ताल में देखे गए हैं. ये पक्षी अपनी लंबी चोंच और गुलाबी लंबी टांगों से पहचाने जाते हैं.

ब्लैक विंग स्टिल्ट मुख्य रूप से ठंडे देशों से आते हैं. ये हर साल सर्दियों के दौरान गर्म जलवायु की तलाश में शहर के रामगढ़ताल तक आ जाते हैं. हालांकि, इस बार ठंड का आगमन थोड़ी देर से हुआ, शायद इसीलिए इन पक्षियों का आगमन भी पिछले सालों की तुलना में देरी से हुआ है. आम तौर पर ये दिसंबर के पहले सप्ताह में ही ताल में आने शुरू हो जाते हैं.

रामगढ़ताल में इन प्रवासी पक्षियों का आगमन न केवल ताल के ईको सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पक्षी प्रेमियों और पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बन जाता है. सैकड़ों की संख्या में इन पक्षियों को एक साथ देखना एक अद्भुत दृश्य होता है. रामगढ़ताल में प्रवासी पक्षियों का कई सारे पक्षी प्रेमियों को इंतजार रहता है.

रामगढ़ताल में ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट की संख्या में हर साल वृद्धि देखी जा रही है. यह पक्षी, जो यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में विलुप्तप्राय है. ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट को उसकी सीटी जैसी तेज आवाज से पहचाना जा सकता है और यह आईयूसीएन की रेड लिस्ट में शामिल है.

स्थानीय लोग और पर्यटक इन पक्षियों की तस्वीरें लेने और उनके हावभाव देखने के लिए ताल पर पहुंचते हैं. आने वाले हफ्तों में, जैसे-जैसे और अधिक प्रवासी पक्षी ताल में आएंगे, यह क्षेत्र और भी जीवंत और आकर्षक हो जाएगा.

रिसर्च टीम

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गो-गोरखपुर की रिसर्च टीम गोरखपुर अंचल के इतिहास, भूगोल, साहित्य, कला-संस्कृति, समाज पर केंद्रित आलेख ढेर सारे दस्तावेजों के अध्ययन के आधार पर तैयार करती है. तथ्यों के संकलन के क्रम में हम शहर के जानकार लोगों से बातचीत भी करते हैं. ऐसे आलेखों के पीछे पूरी टीम का सहयोग होता है, लिहाजा साझा श्रेय 'रिसर्च डेस्क' के नाम है.

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