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शख्सियत

Asit Sen: घोष कंपनी की गलियों से बॉलीवुड का कॉमेडी किंग बनने का सफ़र जानते हैं आप?

पाश्र्व गायक और अभिनेता किशोर कुमार के साथ असित सेन. फोटो: बॉलीवुड सोशल मीडिया

Asit Sen Gorakhpur: बॉलीवुड में अपने हास्य अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले दिग्गज अभिनेता असित सेन का गोरखपुर से गहरा नाता रहा है। शहर की आज की पीढ़ी भले ही इस बात से अंजान हो, लेकिन अपनी अदाकारी का लोहा मनवाने वाले असित सेन कभी इसी शहर में ‘सेन फोटो स्टूडियो’ चलाया करते थे। फोटोग्राफी के प्रति उनके इसी शौक ने उनके जीवन को एक नया मोड़ दिया और उन्हें मुंबई के फिल्मी गलियारों तक पहुंचाया। आम तौर पर अभिनेता के तौर पर शुरुआत करने वाले कलाकारों से इतर, असित सेन ने अपने करियर की शुरुआत निर्देशक के तौर पर की थी, और बाद में अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज किया।

गोरखपुर की गलियों से बॉलीवुड का सफर

असित सेन का जन्म 13 मई 1917 को गोरखपुर के पैतृक मकान में हुआ था, जो पचास के दशक में घोष कंपनी से रेती की ओर जाने वाली सड़क पर स्थित बिस्कुट फैक्ट्री के निकट था। यहीं उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी की और आगे की पढ़ाई के लिए कलकत्ता विश्वविद्यालय का रुख किया। बाद में उन्होंने शहर में ही अपना ‘सेन फोटो स्टूडियो’ खोला था। युवा असित दुर्गाबाड़ी में होने वाले नाट्य आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे, जहाँ उन्होंने कई नाटकों में अभिनय कर अपने भीतर के कलाकार को निखारा।

कोलकाता से मुंबई तक का निर्देशन का सफर

असित सेन ने अपने करियर की शुरुआत कोलकाता में निर्देशक-निर्माता बिमल रॉय के सहायक के रूप में की थी। यह वह दौर था जब कोलकाता फिल्म उद्योग धीरे-धीरे ढलान पर था। ऐसे में, असित सेन 1950 में अपने गुरु बिमल रॉय की टीम के साथ मुंबई (तब बॉम्बे) चले गए। अभिनय में पूरी तरह से आने से पहले, उन्होंने बिमल रॉय के प्रोडक्शन हाउस के लिए दो फिल्मों का निर्देशन भी किया था। ये फिल्में थीं ‘परिवार’ (1956) और ‘अपराधी कौन’ (1957)। उनकी फिल्मोग्राफी में इन फिल्मों के सामने उनका किरदार ‘द डायरेक्टर’ के रूप में ही दर्शाया गया है, जो उनके शुरुआती directorial योगदान को दर्शाता है।

200 से अधिक यादगार फिल्में

असित सेन ने अपने करियर में 200 से अधिक फिल्मों में काम किया, जिनमें उनके हास्य अभिनय और चरित्र किरदारों ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। उनकी कुछ यादगार फिल्मों में ‘चांद और सूरज’ (1963), ‘भूत बंगला’ (1965), ‘नौनिहाल’ (1967), ‘ब्रह्मचारी’ (1968), ‘यकीन’ और ‘आराधना’ (1969) शामिल हैं।

1970 का साल उनके लिए बेहद खास रहा, जब उन्होंने ‘प्यार का मौसम’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘दुश्मन’, ‘मझली दीदी’ और ‘बुड्ढा मिल गया’ जैसी फिल्मों में काम किया। 1971 में वह ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘आनंद’, ‘दूर का राही’ और ‘अमर प्रेम’ जैसी कालजयी फिल्मों का हिस्सा रहे। 1972 में ‘बॉम्बे टू गोवा’, ‘बालिका वधू’, 1976 में ‘बजरंग बली’ और 1977 में ‘आनंद आश्रम’ जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया।

एक अनोखी पहचान: शरीरिक बनावट और हास्य का संगम

अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने के बाद असित सेन ने अपनी एक अलग पहचान बनाई। वे अक्सर अधिकार वाले किरदार निभाते थे, जैसे पुलिस इंस्पेक्टर या मकान मालिक, लेकिन उनमें हमेशा एक हास्य का पुट होता था। उनकी शारीरिक बनावट बहुत विशाल थी, जो उनके किरदारों को और भी मज़ेदार बनाती थी। इसके विपरीत, उनकी आवाज़ बहुत पतली थी, और वे अपने संवादों को एक धीमी गति से बोलते थे। यह अनूठा संयोजन ही उनकी पहचान बन गया, जिसने उन्हें बॉलीवुड का एक यादगार हास्य अभिनेता बनाया। असित सेन कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र थे, जिससे यह भी पता चलता है कि वे एक शिक्षित पृष्ठभूमि से थे।

असित सेन का जन्म 13 मई 1917 को गोरखपुर में हुआ था।
असित सेन की मृत्यु 18 सितंबर 1993 को हुई।

Siddhartha Srivastava

Siddhartha Srivastava

About Author

Siddhartha Srivastava का आज, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, हिंदुस्तान, दैनिक जागरण जैसे हिंदी अखबारों में 18 साल तक सांस्थानिक पत्रकारिता का अनुभव है. वर्तमान में स्वतंत्र पत्रकारिता. email:- siddhartha@gogorakhpur.com | 9871159904.

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