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एम्स गोरखपुर

एम्स गोरखपुर: 5 वर्षीय बच्चे की सांस की नली से मूंगफली निकाल बचाई जान

एम्स गोरखपुर: 5 वर्षीय बच्चे की सांस की नली से मूंगफली निकाल बचाई जान
एम्स गोरखपुर ने 5 वर्षीय बच्चे की सांस की नली से मूंगफली निकालकर जान बचाई। फेफड़ा कोलैप्स होने के बावजूद 3.40 घंटे चला सफल ऑपरेशन, अत्याधुनिक चिकित्सा का प्रमाण।

गोरखपुर: महाराजगंज जिले के एक 5 वर्षीय बच्चे को सांस की गंभीर समस्या के साथ एम्स गोरखपुर के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया। बच्चे के माता-पिता के अनुसार, कुछ घंटे पहले बच्चे ने मूंगफली का दाना निगल लिया था, जिससे उसकी सांस की नली में रुकावट आ गई थी। कई अन्य चिकित्सा केंद्रों से रेफर होने के बाद, बच्चे को एम्स गोरखपुर लाया गया, जहाँ उसकी स्थिति अत्यधिक गंभीर थी।

फेफड़ा कोलैप्स होने के बाद भी बचाई गई जान

बच्चे का तुरंत एक्स-रे किया गया, जिससे पता चला कि उसका दायां फेफड़ा पूरी तरह से कोलैप्स हो चुका था, और जीवन बचाना एक बड़ी चुनौती बन गया था। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए बच्चे को तुरंत बाल रोग विभाग के आईसीयू में भर्ती किया गया और वेंटीलेटर पर रखा गया।



3 जून की सुबह, पल्मोनरी मेडिसिन, एनेस्थीसिया और ईएनटी विभागों की एक विशेषज्ञ टीम ने मिलकर बच्चे की सांस की नली से मूंगफली को निकालने का प्रयास शुरू किया। इस जटिल प्रक्रिया में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवेश प्रताप सिंह, सीनियर रेजिडेंट डॉ. कनुप्रिया, डॉ. राघवेंद्रन और जूनियर रेजिडेंट डॉ. अपराजिता; एनेस्थीसिया विभाग के प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार, डॉ. रवि शंकर शर्मा और अन्य विशेषज्ञ; तथा ईएनटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अश्वनी, एसआर डॉ. नैंसी और जेआर डॉ. श्वेता शामिल थे।

3 घंटे 40 मिनट चला जोखिमपूर्ण ऑपरेशन

चिकित्सकों के अनुसार, बच्चे का ऑक्सीजन सैचुरेशन वेंटीलेटर पर रहने के बावजूद कम था, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई थी। बच्चे को एनेस्थीसिया देना और फिर फॉरेन बॉडी (मूंगफली) को निकालना एक अत्यंत जोखिमपूर्ण कार्य था। फिर भी, टीम के संयुक्त प्रयासों से करीब 3 घंटे 40 मिनट तक चले ऑपरेशन में मूंगफली को टुकड़ों में निकाल लिया गया। इस प्रक्रिया में पेडियाट्रिक ब्रोंकोस्कोप और क्रायो प्रोब का उपयोग किया गया।

ऑपरेशन के बाद, बच्चे का ऑक्सीजन सैचुरेशन 100% तक पहुंच गया, और तुरंत बाद किए गए एक्स-रे में यह दिखा कि बच्चे का फेफड़ा पूरी तरह से फैल गया। इसके बाद बच्चे को बाल रोग विभाग में एचडीसी डॉ. मनीष के तहत वेंटीलेटर पर रखा गया। दो दिनों के बाद, बच्चे को सफलतापूर्वक वेंटीलेटर से हटा लिया गया, और उसे पूरी तरह से स्वस्थ अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

एम्स गोरखपुर की अत्याधुनिक सुविधाओं का प्रमाण

सांस की नली से फॉरेन बॉडी निकालना एक जीवन रक्षक और आपातकालीन प्रक्रिया है, और इस मामले में बच्चे की हालत पहले से ही गंभीर होने के कारण प्रक्रिया अत्यधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण बन गई थी।

एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशिका और सीईओ, मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता ने इस जटिल प्रक्रिया की सफलता पर चिकित्सकों को बधाई दी। उन्होंने पल्मोनरी मेडिसिन, एनेस्थीसिया, ईएनटी और बाल रोग विभागों के चिकित्सकों के समर्पण और प्रयासों की सराहना की, जिनकी वजह से बच्चे की जान बचाई जा सकी। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले महीने ही एक अन्य बच्चे की सांस की नली से कान की बालियां सफलतापूर्वक निकाली गई थीं।

इस प्रकार के जटिल ऑपरेशनों और उनकी सफलता से यह साबित होता है कि एम्स गोरखपुर में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं और यह संस्थान क्षेत्र में प्रगति की दिशा में निरंतर कार्यरत है।


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Priya Srivastava

Priya Srivastava

About Author

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में परास्नातक. gogorakhpur.com के लिए हेल्थ, सिनेमा, टेक और फाइनेंस बीट पर रिसर्च करती हैं. 'लिव ऐंड लेट अदर्स लिव' की फिलॉसफी में गहरा यकीन.

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