गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में एक नई इबारत लिखने को तैयार है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने ‘पीएम उषा’ (PM-USHA) योजना के तहत मिली भारी-भरकम धनराशि से एक अत्याधुनिक एआई लैब (AI Lab) स्थापित करने की प्रक्रिया आधिकारिक रूप से शुरू कर दी है। लगभग 1.5 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली यह प्रयोगशाला न केवल छात्रों के कौशल विकास (Skill Development) में सहायक होगी, बल्कि पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में तकनीकी अनुसंधान और नवाचार का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरेगी। इसमें उच्च क्षमता वाले 7 से 11 जीपीयू (GPU) आधारित वर्कस्टेशन और विशेष सर्वर लगाए जाएंगे, जिससे छात्र जटिल एआई मॉडल्स पर काम कर सकेंगे।
पीएम उषा योजना के बजट से मिलेगी तकनीकी को रफ्तार
गोरखपुर विश्वविद्यालय को केंद्र सरकार की ‘पीएम उषा’ योजना के तहत यूजीसी (UGC) की ओर से कुल 100 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। विश्वविद्यालय ने इस बड़ी धनराशि का एक हिस्सा विशेष रूप से तकनीकी विकास के लिए सुरक्षित रखा है। छात्रों के कौशल विकास के लिए निर्धारित ‘सॉफ्ट कंपोनेंट’ मद के 3 करोड़ रुपये में से 1.5 करोड़ रुपये सीधे इस गोरखपुर विश्वविद्यालय एआई लैब की स्थापना पर खर्च किए जाएंगे। डीडीयू प्रशासन ने इसके लिए एक विशेषज्ञ टीम का गठन किया है, जो लैब का विस्तृत खाका (ब्लूप्रिंट) तैयार कर रही है। तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए डीडीयू की टीम ने हाल ही में नाइलिट (NIELIT) डीम्ड यूनिवर्सिटी का दौरा कर वहां की बारीकियों को भी समझा है।
7 से 11 जीपीयू आधारित वर्कस्टेशन और हाई-टेक सर्वर
इस प्रयोगशाला की सबसे बड़ी विशेषता इसका तकनीकी ढांचा होगा। डीडीयू में पहले से ही बीटेक (एआई) और एमएस (एआई) जैसे आधुनिक पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं, लेकिन एक समर्पित प्रयोगशाला की कमी महसूस की जा रही थी। अब इस लैब में एक उच्च क्षमता वाला केंद्रीकृत जीपीयू सर्वर स्थापित किया जाएगा, जो बड़े एआई मॉडल की ट्रेनिंग, डीप लर्निंग और जटिल डेटा विश्लेषण के लिए ‘बैकबोन’ (आधार) के रूप में कार्य करेगा। योजना के अनुसार, लैब में 7 से 11 जीपीयू आधारित एआई वर्कस्टेशन लगाए जाएंगे। यह सुविधा छात्रों को वास्तविक समय में उच्च-स्तरीय शोध कार्य करने में सक्षम बनाएगी।
पूर्वी उत्तर प्रदेश का तकनीकी हब बनेगा डीडीयू
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने इस परियोजना को लेकर अपना दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने बताया, “पीएम उषा योजना के तहत स्वीकृत बजट का सदुपयोग करते हुए हम एआई लैब की स्थापना कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य इसे भविष्य में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के रूप में विकसित करना है। इस लैब के माध्यम से गोरखपुर विश्वविद्यालय पूर्वी उत्तर प्रदेश में तकनीकी शिक्षा, अनुसंधान एवं नवाचार के सबसे बड़े केंद्र के रूप में अपनी पहचान सशक्त करेगा।” लैब के शुरू होने से स्थानीय छात्रों को अब एआई जैसे उन्नत विषयों के शोध के लिए बड़े महानगरों का रुख नहीं करना पड़ेगा।

