गोरखपुर: गोरखपुर के गौरी मंगलपुर जैसे छोटे से गांव की मिट्टी से निकलकर एक युवा एथलीट आज अंतरराष्ट्रीय किकबॉक्सिंग रिंग में भारत का परचम लहराने को तैयार है। यह कहानी है सनी सिंह की, जो अपने फौलादी इरादों और असाधारण प्रतिभा के दम पर, नवंबर में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में होने वाली प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं। एक किसान के बेटे की यह विश्वव्यापी उड़ान केवल पदकों की कहानी नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प, अथक परिश्रम और हर चुनौती को अवसर में बदलने की एक प्रेरणादायक यात्रा है। यह उस अनोखे सफर की कहानी है, जिसकी पटकथा कोविड-19 लॉकडाउन में लिखी गई थी।
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कहते हैं, जिंदगी में बड़ी यात्रा की शुरुआत अक्सर अप्रत्याशित मोड़ों से होती है। सनी सिंह के लिए यह मोड़ 2020 का कोविड-19 लॉकडाउन था। जब दुनिया घरों में कैद थी, तब 12वीं कक्षा के छात्र सनी ने उस समय का सदुपयोग करने के लिए ताइक्वांडो में दाखिला ले लिया। अपने पहले कोच, विशाल कुमार के मार्गदर्शन में सनी ने मार्शल आर्ट्स की दुनिया में पहला कदम रखा। यह निर्णय केवल एक शौक नहीं था, बल्कि एक ऐसे जुनून की शुरुआत थी जो उन्हें वैश्विक मंच तक ले जाने वाला था।
ताइक्वांडो का प्रशिक्षण ले रहे सनी का अपने जुनून के प्रति समर्पण धीरे धीरे उन्हें सामाजिक पहलुओं से भी जोड़ने लगा। सनी ने ‘मिशन अपराजिता साथी’ और ‘मिशन शक्ति’ जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया और इस दौरान उन्होंने लगभग 5000 छात्राओं को आत्मरक्षा का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया। उनकी इस उपलब्धि ने उन्हें एक ऐसे एथलीट के रूप में पहचान दिलाई जो न केवल रिंग के अंदर, बल्कि समाज के लिए भी एक योद्धा है। इस समय तक सनी ने तय कर लिया था कि ताइक्वांडो उनकी मंजिल नहीं था; बल्कि उनकी राह का एक पड़ाव था।

किसी भी एथलीट के करियर में सही खेल का चुनाव निर्णायक होता है। सनी बताते हैं कि उन्होंने जल्द ही महसूस किया कि उनकी असली क्षमता ताइक्वांडो से आगे है। उन्होंने किकबॉक्सिंग को अपनाने का रणनीतिक निर्णय लिया, क्योंकि यह साधना में कहीं ज्यादा कठोर और जबर्दस्त कौशल की मांग करने वाला खेल है। सनी बताते हैं, ताइक्वांडो में मुख्य रूप से किक का इस्तेमाल होता है, जबकि किकबॉक्सिंग एक “हार्डली गेम” है जिसमें किक और पंच दोनों के सटीक संयोजन की ज़रूरत होती है। ताइक्वांडो ने उन्हें अनुशासन सिखाया था, लेकिन किकबॉक्सिंग की कठोर दुनिया अब उनके फौलादी इरादों का असली इम्तिहान लेने वाली थी—जिसमें सिर्फ किक नहीं, बल्कि जिगर भी लगता है।
सनी बताते हैं कि उनके किकबॉक्सिंग करियर का आगाज किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। 2023 में, जब वे गोरखपुर विश्वविद्यालय में बीए के छात्र थे, तो उन्होंने मेरठ में आयोजित राज्य चैंपियनशिप में भाग लिया। उस प्रतियोगिता में वे अपनी टीम के एकमात्र सदस्य के रूप में गए थे, लेकिन उनका आत्मविश्वास अकेले ही पूरी टीम पर भारी पड़ा। उन्होंने वहां स्वर्ण पदक जीतकर सनसनी फैला दी। इस पहली बड़ी जीत ने न सिर्फ उनके कॉन्फिडेंस को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि उनके लिए राष्ट्रीय मंच के द्वार भी खोल दिए।
मेरठ में मिली जीत के बाद सनी सिंह ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक के बाद एक प्रतियोगिताओं में मिली सफलताओं ने किकबॉक्सिंग को एक शौक से उनके जीवन के लक्ष्य और करियर में बदल दिया। उनकी प्रमुख उपलब्धियों का सफर उनकी प्रतिभा और मेहनत की गवाही देता है:
- स्वर्ण पदक (राज्य): 2023 में मेरठ में आयोजित स्टेट चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी यात्रा का शानदार आगाज किया।
- स्वर्ण पदक (राष्ट्रीय): इसी वर्ष देहरादून में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक अपने नाम किया और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।
- रजत पदक (राष्ट्रीय): 2024 में सिलीगुड़ी (बंगाल) में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर अपनी निरंतरता साबित की।
- रजत पदक (राष्ट्रीय): वाको इंडिया इंटरनेशनल किकबॉक्सिंग कप 2024, इंदिरा गांधी स्टेडियम, दिल्ली
- कांस्य पदक (राष्ट्रीय): सीनियर राष्ट्रीय किकबॉक्सिंग चैंपियनशिप, 2025 रायपुर, छत्तीसगढ़
- विश्व कप में 5वीं रैंक: उज्बेकिस्तान में आयोजित किकबॉक्सिंग वर्ल्ड कप में भाग लिया और दुनिया के शीर्ष 10 खिलाड़ियों में 5वां स्थान हासिल कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी क्षमता का लोहा मनवाया।
मेरठ से शुरू हुआ सनी का जीत का सफर हर साल उनकी झोली में पदक देता गया। इन जीतों ने सनी को एक शौकिया खिलाड़ी से एक पेशेवर एथलीट में बदल दिया, जिसका एकमात्र सपना अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के लिए गोल्ड जीतना है। हालांकि, सफलता की इस राह में उन्हें रिंग के बाहर भी कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
गोरखपुर जिले के एक अल्प विकसित गांव गौरी मंगलपुर में एक किसान परिवार में, जीवधन सिंह और श्रीमती पूनम सिंह के घर जन्म लेने वाले सनी का सफर चुनौतियों से भरा रहा है। लेकिन यह भी एक स्थापित तथ्य है कि भारत में किसी एथलीट की यात्रा केवल जीत और पदकों से नहीं, बल्कि बाधाओं पर विजय पाने की कहानियों से भी बनती है। सनी के लिए भी सबसे बड़ी चुनौती वित्तीय संसाधनों की कमी थी। राष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन के बाद उनका चयन एशियन चैंपियनशिप के लिए हो गया था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वे इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में भाग लेने से चूक गए।
एक किसान परिवार से आने वाले बेटे के लिए, जिसका बचपन से पालन-पोषण नानी के घर पर हुआ, यह एक ऐसा नॉकआउट पंच था जो रिंग के बाहर लगा था, जिसने उनके सपनों को लगभग धराशायी कर दिया था। लेकिन इसने उनके इरादों को कमजोर करने के बजाय और भी मजबूत कर दिया। सौभाग्य से, उनके समुदाय और संस्थानों ने उनकी इस लड़ाई में उनका साथ दिया।
किसी भी योद्धा को हमेशा अकेले नहीं लड़ना पड़ता। और सनी की लड़ाई में गोरखपुर विश्वविद्यालय एक मजबूत ढाल बनकर सामने आया। विश्वविद्यालय ने न सिर्फ किकबॉक्सिंग जैसे खेल को बढ़ावा दिया, बल्कि पहली बार ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी टीम भी भेजी, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विश्वविद्यालय ने सनी को प्रायोजक दिलाने में भी बड़ी मदद की।
सनी वर्तमान में दोहरी विशेषज्ञता के तहत प्रशिक्षण ले रहे हैं। सनी बताते हैं कि अभी वह मार्शल क्लब के सनी निषाद (एक अनुभवी एमएमए प्लेयर) से किकबॉक्सिंग की बारीकियां सीख रहे हैं, जबकि गोरखपुर के रीजनल स्पोर्ट्स स्टेडियम में बॉक्सिंग कोच सुमित गौतम उनके पंचों को और धार दे रहे हैं।
जब सनी को वित्तीय सहायता की सबसे अधिक आवश्यकता थी, तो ऐश्प्रा फाउंडेशन के अतुल सराफ, होटल क्लार्क ग्रैंड के अमित बथवाल और गुडडे स्वीट्स एंड ब्रेकर्स के एमडी निखिल बुधवानी जैसे प्रायोजक उनकी मदद के लिए आगे आए। इस सामूहिक समर्थन ने सनी को अपनी प्रतिभा पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर दिया, और अब वे अपनी अगली अंतरराष्ट्रीय चुनौती के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
गोरखपुर के गौरी मंगलपुर गांव की गलियों से शुरू हुआ सनी सिंह का यह सफर आज उन्हें संयुक्त अरब अमीरात के वैश्विक मंच तक ले आया है। यह यात्रा दृढ़ संकल्प, अनुशासन और विपरीत परिस्थितियों में भी हार न मानने वाले जज्बे की मिसाल है।
अगले माह जब सनी सिंह यूएई की रिंग में उतरेंगे, तो उनके हर पंच और किक में गौरी मंगलपुर की मिट्टी की ताकत और 140 करोड़ देशवासियों की उम्मीदें शामिल होंगी। यह सिर्फ एक मुकाबला नहीं, बल्कि एक किसान के बेटे के विश्वविजयी सपनों का अगला अध्याय है, जिस पर हर भारतीय की निगाहें टिकी हैं।

सनी सिंह एक प्रतिभावान भारतीय खिलाड़ी हैं। उनकी उपलब्धियों पर हमें गर्व है। हमारा फाउंडेशन सनी सिंह को हमेशा समर्थन करेगा। हम उन्हें हार्दिक बधाई देते हैं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।
— अतुल सराफ, एमडी, ऐश्प्रा फाउंडेशन
 



