Five most dangerous things for the kidneys: हमारे गुर्दे शरीर के सबसे ज़रूरी अंगों में से एक हैं, जो खून को फिल्टर करने, अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। समय के साथ, कुछ आदतें और चीज़ें गुर्दों को कमज़ोर कर सकती हैं, जिससे उनका कार्य प्रभावित होता है। मधुमेह, मोटापा और शराब का सेवन क्रोनिक किडनी रोग (CKD) के जाने-माने कारण हैं, लेकिन बोर्ड सर्टिफाइड कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. इवान लेविन ने 5 ऐसी ‘खतरनाक’ चीज़ों के बारे में बताया है, जो गुर्दों को चुपके से नुकसान पहुंचा सकती हैं।
दर्द निवारक दवाएं (NSAIDs) हैं गुर्दों के लिए सबसे बड़ा खतरा
इबुप्रोफेन और नेप्रोक्सन जैसी नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) आमतौर पर दर्द और सूजन के इलाज में इस्तेमाल होती हैं, लेकिन ये गुर्दों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं। ये दवाएं ‘प्रोस्टाग्लैंडीन’ नामक तत्व के उत्पादन को कम कर देती हैं, जिसकी गुर्दों को अपने फिल्टरेशन कार्य को सही ढंग से करने के लिए ज़रूरत होती है। प्रोस्टाग्लैंडीन कम होने से गुर्दों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे लंबी अवधि में किडनी को गंभीर क्षति हो सकती है और पहले से मौजूद किडनी की स्थिति और खराब हो सकती है।
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बुज़ुर्गों और डिहाइड्रेशन से जूझ रहे लोगों में एनएसएआईडी के बार-बार या ज़्यादा मात्रा में सेवन से गुर्दे के नुकसान का खतरा और बढ़ जाता है। बिना डॉक्टरी सलाह के इन दवाओं का लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर किडनी डैमेज का पता भी नहीं चलता, इसलिए निर्धारित निर्देशों का पालन करना सुरक्षित है।
नमक का अत्यधिक सेवन बढ़ाता है ब्लड प्रेशर और गुर्दों पर दबाव
शरीर को ज़रूरी कार्यों के लिए सोडियम की आवश्यकता होती है, लेकिन नमक (सोडियम) का अधिक सेवन गुर्दों पर बहुत अधिक दबाव डालता है। डॉ. लेविन बताते हैं कि ज़्यादा नमक खाने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जिसके कारण गुर्दों को अपशिष्ट निकालने और शरीर में तरल पदार्थों का संतुलन बनाए रखने के लिए ज़्यादा काम करना पड़ता है। लंबे समय तक उच्च सोडियम के संपर्क में रहने से किडनी के ऊतक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और उनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है।
जिन लोगों को किडनी की कोई ज्ञात समस्या नहीं है, उन्हें भी ज़्यादा नमक खाने से शरीर में तरल पदार्थ जमा होने और अपशिष्ट को हटाने के कार्य में बाधा आने की समस्या हो सकती है। प्रसंस्कृत (Processed) या फास्ट फूड की जगह बिना प्रसंस्कृत भोजन (Unprocessed foods) खाने से गुर्दों को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है, क्योंकि प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में नमक की मात्रा बहुत अधिक होती है।
शरीर में पानी की कमी (Dehydration) से होता है स्थाई नुकसान
निर्जलीकरण यानी डिहाइड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) होने पर गुर्दों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे उनकी अपशिष्ट को फिल्टर करने की क्षमता कम हो जाती है। डॉ. लेविन के अनुसार, गुर्दों को विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए पर्याप्त पानी की ज़रूरत होती है, क्योंकि पानी की अपर्याप्त आपूर्ति से गंभीर किडनी क्षति और किडनी स्टोन बन सकते हैं। लगातार डिहाइड्रेशन के तनाव से गुर्दे की संरचनाओं को स्थाई नुकसान पहुँच सकता है।
गुर्दों के सही कार्य के लिए दिन भर पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीना महत्वपूर्ण है। यह रक्त की मात्रा और अपशिष्ट पदार्थों के निष्कासन को बनाए रखने में मदद करता है। रोज़ाना लगभग 8 कप (2 लीटर या उससे अधिक) पानी पीने की सलाह दी जाती है, हालांकि व्यक्तिगत ज़रूरतें पर्यावरणीय परिस्थितियों और शारीरिक गतिविधि के स्तर के आधार पर बदल सकती हैं।
कुछ एंटीबायोटिक्स और कंट्रास्ट डाई भी हैं हानिकारक
कुछ एंटीबायोटिक्स दवाएं गुर्दे की नलिका कोशिकाओं (Tubular Cells) को सीधे नुकसान पहुंचाकर या ऐसी एलर्जी प्रतिक्रियाएं शुरू करके किडनी को क्षति पहुंचा सकती हैं जो उनके कार्य को प्रभावित करती हैं। एमीनो ग्लाइकोसाइड्स और वेंकोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक्स का दुष्प्रभाव तब बढ़ जाता है जब इलाज के दौरान मरीज़ की सही निगरानी नहीं की जाती।
लंबे समय तक या ज़्यादा डोज़ वाले एंटीबायोटिक उपचार की ज़रूरत वाले मरीज़ों में, किडनी को नुकसान से बचाने के लिए डॉक्टर गुर्दे की कार्यक्षमता की जांच करते हैं। मरीज़ों को अपने एंटीबायोटिक नुस्खों का ठीक से पालन करना चाहिए और किसी भी किडनी संबंधी समस्या के लक्षण दिखने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
इसके अतिरिक्त, सीटी स्कैन और अन्य इमेजिंग प्रक्रियाओं के लिए नसों में दिए जाने वाले कंट्रास्ट डाई (Intravenous Contrast Dyes) के उपयोग से ‘कंट्रास्ट-प्रेरित नेफ्रोपैथी’ (CIN) हो सकती है, जिससे किडनी की कार्यक्षमता खराब हो सकती है। डॉ. लेविन के अनुसार, जिन मरीज़ों को पहले से ही किडनी रोग या मधुमेह है, उनमें CIN विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
कंट्रास्ट देने से पहले किडनी कार्यक्षमता परीक्षण (Kidney Function Tests) करवाना, पर्याप्त पानी पीना (Hydration Protocols) और कंट्रास्ट सामग्री की डोज़ को कम करना ज़रूरी है। मरीज़ों को मेडिकल इमेजिंग टेस्ट से पहले अपनी किडनी की स्थिति के बारे में डॉक्टर को ज़रूर बताना चाहिए।


