GO GORAKHPUR: भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से आश्विन मास की अमावस्या तिथि तक मनाए जाने वाले पितृपक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से होगी समापन 14 अक्तूबर को होगा. ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध करना आत्मशांति और पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का सबसे उत्तम प्रयोजन है. ऐसा करना बेहद शुभ और उत्तम फलदायी होता है.
अगर किसी गलती की वजह से पितृ हमसे नाराज हो जाएं तो इससे व्यक्ति के जीवन में पितृदोष जैसा बड़ा दोष लग जाता है. ऐसे में पितृपक्ष का यह समय पितृदोष जैसे गंभीर दोष से छुटकारा पाने और पितरों की आत्मा की शांति के लिए बेहद ही फलदायी बताया गया है.
क्या करें जब तिथि भूल गई हो
पितृपक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार उसी तिथि पर पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है. अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु तिथि भूल गए हैं या आपको मालूम नहीं है तो ऐसे पूर्वजों का श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाता है.
ऐसे करें श्राद्ध तर्पण
पितरों का तर्पण करने के लिए सबसे पहले हाथ में कुश लेकर दोनों हाथों को जोड़कर पितरों का ध्यान करें और उन्हें अपनी पूजा स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करें. इस दौरान ‘ॐ आगच्छन्तु में पितर और ग्रहन्तु जलान्जलिम’ मंत्र का स्पष्ट उच्चारण करें. पितरों का तर्पण करने के लिए जल, तिल और फूल लेकर तर्पण करना चाहिए.
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