देवरिया के फतेहपुर गांव में रहने वाले ‘प्रेम’ और ‘सत्य’ के बीच रंजिश की आग हर रोज़ बढ़ती गई. सत्यप्रकाश के छोटे भाई ने अपने हिस्से का खेत बेचकर अपना असंतोष मिटा लिया, लेकिन रंजिश के बीज सत्यप्रकाश और प्रेमचंद के बीच पड़ गए. हर बार फसल कटने पर इंतकाम की यह आग और भड़कती गई.
GO GORAKHPUR: देवरिया के फतेहपुर का लेहड़ा टोला…आबादी कोई एक हजार…सोमवार की सुबह टोले के लोगों ने जो मंजर देखा वैसा कभी सपने में भी नहीं सोचा था. जमीन को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद ने दो परिवारों को तबाह कर दिया. सुबह छह बजे पहले पूर्व जिला पंचायत सदस्य की धारदार हथियार से हत्या हो जाती है, फिर उस हत्या के प्रतिशोध में आरोपित सहित उसके परिवार की महिलाओं, बच्चों सहित पांच लोगों की लाश बिछ जाती है. टोले के लोग जब तक कुछ समझ पाते तब तक इस कांड की गूंज उनके टोले से निकलकर प्रदेश स्तर तक पहुंच जाती है. निजी रंजिश में हुई इस वारदात से हर कोई हैरान है. आखिरकार दो पक्षों के बीच जहर का बीज कबसे पनप रहा था और सोमवार को ऐसा क्या हुआ कि सबकुछ खत्म हो गया. टोले-जवार के लोगों की जुबां पर बस यही वाक्य है…जमीन अपनी जगह पर है जबकि उस पर दावे के पीछे दो परिवार तबाह हो गए. आखिर क्या है इस विवाद की जड़?
भाइयों के बीच की अदावत दो टोले में रहने वाले दो पक्षों में उलझी
रंजिश की यह कहानी देवरिया के फतेहपुर गांव की है. इस गांव का एक टोला है अभयपुर. अभयपुर में पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव रहते थे. गांव का एक दूसरा टोला है लेहड़ा. इस टोले में सत्यप्रकाश दुबे और उनका छोटा भाई ज्ञानप्रकाश रहते थे. सत्यप्रकाश और ज्ञानप्रकाश के बीच पारिवारिक कलह थी. ग्रामीणों के अनुसार, ज्ञानप्रकाश ने अपने हिस्से की दस बीघा जमीन अभयपुर टोला के प्रेमचंद यादव को बेच दी. इसके बाद ज्ञानप्रकाश गांव छोड़कर गुजरात चले गए. जमीन बिकने के बाद, भाइयों के बीच की वह अदावत सत्यप्रकाश और प्रेमचंद यादव के बीच उलझ गई. सत्यप्रकाश ने इस बैनामे को कोर्ट में चुनौती दी थी. यह केस चल ही रहा है.
सत्यप्रकाश और ज्ञानप्रकाश ने आपस में नहीं बांटी जमीन
ज्ञानप्रकाश ने जो जमीन प्रेमचंद को बैनामा की थी, उसमें विवाद की वजह बना सीमांकन. दरअसल, सत्यप्रकाश और ज्ञानप्रकाश के बीच आपस में यह तय नहीं था कि उस जमीन के किस हिस्से का स्वामी कौन है. ज्ञानप्रकाश ने बस उस भूखंड में अपना हिस्सा बेच दिया. प्रेमचंद उस भूमि के किस हिस्से पर काबिज होगा, यही दोनों के बीच विवाद का कारण बना. कुछ लोगों ने दबी जुबान कहा कि दूसरे पक्ष ने मनमाने ढंगे से जमीन पर कब्जा कर लिया था. इसे लेकर आएदिन कहासुनी होती थी. सत्यप्रकाश का छोटा भाई ज्ञानप्रकाश अपने हिस्से की जमीन के पैसे लेकर गुजरात चला गया. सत्यप्रकाश अपने परिवार के साथ गांव में ही रहते थे. ज्ञानप्रकाश ने जमीन के किस हिस्से को बेचा, इसे लेकर विवाद था.
संगीनों के साये में होती थी फसल की बुआई और कटाई
ज्ञानप्रकाश ने अपने हिस्से की जो दस बीघा जमीन प्रेमचंद को बेची थी, उस पर फसलों की बुआई और कटाई संगीनों के साये में होती थी. उस खेत पर प्रेमचंद काबिज था. पूर्व जिला पंचायत सदस्य होने के चलते प्रेमचंद का प्रभाव था और उसने बकायदा उस जमीन का बैनामा कराया था. बताया जाता है कि फसलों की बुआई और कटाई के समय सत्यप्रकाश भी अपना दावा करता था. इससे विवाद की स्थिति पैदा होने पर कई दफा राजस्व और पुलिस की टीमें भी मौके पर पहुंची थीं. गेहूं की फसल की कटाई की समय असलहाधारियों की जुटान होती थी और कंबाइन से फसल की कटाई कराई जाती थी. जमीन पर कब्जे की इस लड़ाई में दो टोलों के बीच अदावती तेवर शुरू हो गए थे. प्रेमचंद की हत्या के बाद जिस तरह से दूसरे टोले का जनाक्रोश सामने आया उससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है.
सुलह समझौते के लिए पहुंचा था प्रेमचंद
जैसा कि घटना से साफ है कि प्रेमचंद और सत्यप्रकाश के बीच चल रहे विवाद में दोनों टोले के लोग बंट गए थे. सोमवार की सुबह छह बजे के करीब प्रेमचंद अपनी बाइक से लेहड़ा टोले में अपनी विवादित जमीन देखने के लिए गया था. बताया जाता है कि वह सत्यप्रकाश दुबे के घर पहुंचा. उसने जमीन के मुकदमे में सत्यप्रकाश दुबे से सुलह समझौते पर बातचीत करनी चाही. सत्यप्रकाश इसके लिए तैयार नहीं हुआ. इस बातचीत में कहीं बात और बिगड़ गई. आरोप है कि सत्यप्रकाश के पक्ष के लोगों ने धारदार हथियार से प्रेमचंद पर ताबड़तोड़ वार किए, जिससे उसकी मौत हो गई.
हत्याकांड के बाद सन्नाटा, मृतकों और हमलावरों के नाम जानने में लगे डेढ़ से दो घंटे
प्रेमचंद की हत्या की खबर जैसे ही उसके टोले तक पहुंची वहां प्रतिशोध की आग भड़क गई. लाठी-डंडे, धारदार हथियार और बंदूकों के साथ भीड़ ने सत्यप्रकाश के घर पर हमला बोल दिया. हमलावरों ने घर में घुसकर जो जहां था उसे वहीं बेरहमी से कत्ल कर दिया. पंद्रह से बीस मिनट के भीतर मौके पर छह लाशें गिर गईं. घटना को अंजाम देकर हमलावर मौके से फरार हो गए. इसके बाद दोनों ही टोलों में भयानक सन्नाटा फैल गया. मौके पर पहुंची पुलिस को कोई यह बताने वाला नहीं मिला कि किसकी हत्या हुई है. जिनकी जान गई वे कौन थे. इस सवाल पर दोनों ही टोले के लोगों ने एकदम चुप्पी साध ली थी. डेढ़ घंटे बाद पुलिस एक-एक करके मृतकों की पहचान कर सकी. हमलावरों की दहशत के चलते ग्रामीण पुलिस को किसी का नाम बताने से बच रहे थे.
काश! जो अनहोनी हुई उससे बचाने वाला कोई होता
हत्याकांड के बाद गांव के हालात देखते हुए पुलिस ने शवों का अंतिम संस्कार दो अलग जगहों पर कराया. सत्यप्रकाश दुबे का एक बेटा मेडिकल कॉलेज में जीवन मौत के बीच संघर्ष कर रहा है, जबकि पुरोहिती का काम करने वाला दूसरा बेटा देवेश बेहद डरा-सहमा हुआ है. पुलिस सत्यप्रकाश दूबे, पत्नी किरण और उनके तीन बच्चों के शवों का पोस्टमार्टम के बाद रामपुर कारखाना थाना क्षेत्र के पटनवा घाट लेकर पहुंची. वहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच देवेश ने कांपते हाथों से परिवार के पांच लोगों को मुखाग्नि दी. घटना के बाद घटना के बाद वह काफी सहमा हुआ है. पुलिस ने सोमवार को उसे अपनी सुरक्षा में रखा. उधर, पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव का शव पोस्टमार्टम के बाद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शहर के कुर्ना नाला के पास श्मशान घाट पर पहुंचा. प्रेमचंद के 13 साल के बेटे तेज प्रताप ने पिता को मुखाग्नि दी. इस हत्याकांड के बाद दोनों पक्षों से सहानुभूति रखने वाले लोग बस पश्चाताप के आंसू रो रहे थे. काश! जो अनहोनी हुई उससे बचाने वाला कोई होता.
27 नामजद, 50 अज्ञात पर केस दर्ज
इस जघन्य हत्याकांड में सत्यप्रकाश दुबे की विवाहित बेटी शोभिता द्विवेदी ने 27 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई है. पुलिस ने 50 अज्ञात लोगों पर भी एफआईआर दर्ज की है. इस मामले में 15 लोग हिरासत में लिए गए हैं. पुलिस आरोपितों की तलाश में है. गांव के दोनों ही टोलों से कई लोग घर से फरार हैं.
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