मुजफ्फरपुर से तीन युवा (विश्वजीत, अमन, मदन) अपनी चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए PM मोदी से मदद मांगने पैदल दिल्ली निकले। 11वें दिन गोरखपुर पहुंचे, स्थानीय नेताओं से निराशा के बाद लिया सीधा संपर्क का फैसला। जानें क्यों कर रहे हैं ये अनोखा सफर....
गोरखपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर से तीन युवा दोस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर अपनी ‘नवकिरण फाउंडेशन’ के लिए मदद मांगने पैदल दिल्ली की ओर निकले हैं। आज उनकी यात्रा का 11वां दिन है और वे मंगलवार सुबह ही गोरखपुर पहुंचे हैं। इन युवाओं का कहना है कि वे पिछले तीन साल से गरीब, असहाय और अनाथ बच्चों की मदद कर रहे हैं, लेकिन अब संसाधनों की कमी के कारण वे असमर्थ हो रहे हैं। उनका अनुभव है कि बिहार में मंत्री, विधायक से मुलाकात करना कोई आसान काम नहीं है। मदद के लिए हाथ बढ़ाने से कहीं ज़्यादा वहां सियासी बयानबाजी है।

मुजफ्फरपुर से 28 जून को अपनी ‘पद यात्रा’ शुरू करने वाले विश्वजीत सिंह (27), अमन कुमार (27) और मदन कुमार (29) ने बताया कि उन्होंने अपने इलाके के स्थानीय विधायकों और सांसदों से मदद मांगी, लेकिन नेताओं ने व्यस्तता का हवाला दिया और उन्हें उनसे कोई सहयोग नहीं मिला। विश्वजीत कहते हैं कि इसी निराशा के बाद उन तीनों लोगों ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का फैसला किया।
विश्वजीत सिंह ने बताया, “हमारी संस्था नवकिरण फाउंडेशन पिछले तीन साल से गरीबों और अनाथ बच्चों की मदद कर रही है। अब हम धीरे-धीरे असमर्थ हो रहे हैं, क्योंकि हमारे पास संसाधन सीमित हैं। स्थानीय नेताओं से कोई मदद नहीं मिली, इसलिए हमने सोचा कि क्यों न सीधे मोदी जी से ही भेंट करें और अपनी बात कहें।”
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बहरहाल, बिहार के ये तीन युवा पीएम मोदी से मिलने में कितने सफल होते हैं यह तो समय के साथ सामने आएगा, लेकिन इनके जोश, जज्ब़े और यात्रा के पड़ावों पर हमने बात की तो विश्वजीत ने बताया कि वे तीनों दोस्त प्रतिदिन सुबह 5 बजे से 11 बजे तक और फिर शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक पैदल चलते हैं, जिसमें वे औसतन 32-34 किलोमीटर का सफर तय करते हैं। उनका लक्ष्य प्रतिदिन 40 किलोमीटर चलना है। जहां रात होती है, वहीं किसी मंदिर या उचित स्थान पर विश्राम करते हैं। उनका अनुमान है कि वे 10 अगस्त से पहले दिल्ली पहुंच जाएंगे।
विश्वजीत सिंह ने बताया कि उनका ग्रेजुएशन फाइनल है, जबकि मदन कुमार ने ग्रेजुएशन में एडमिशन लिया फिर पढ़ाई ब्रेक हो गई और अमन कुमार मैट्रिक पास हैं। विश्वजीत पहले पीएचसी चलाते थे, मदन अपना काम करते हैं, और अमन का निजी व्यवसाय है। उन्होंने बताया कि रास्ते के खर्चों के लिए उन्होंने कुछ पैसे जोड़ रखे हैं, और जरूरत पड़ने पर दूसरे दोस्त भी मदद के लिए तैयार हैं।
इन युवाओं का कहना है कि बिहार में नेताओं से मिलना मुश्किल है, वे चाहे पक्ष के हों या विपक्ष के। कभी वे अपनी व्यवस्तता का बहाना बनाकर मदद से इनकार कर देते हैं, तो कभी मुलाकात ही नहीं हो पाती। ऐसे में, उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री उनकी बात सुनेंगे और इन युवाओं ने समाज सेवा के लिए जो संकल्प लिया है उसमें मदद ज़रूर करेंगे।