जंगल सिकरी और सूबा बाजार में बीस साल पहले हुआ था अधिग्रहण
गोरखपुर: जीडीए द्वारा जंगल सिकरी और सूबा बाजार में करीब बीस साल पहले अधिग्रहित की गई भूमि के लिए अब काश्तकारों को बढ़ा हुआ मुआवजा मिलेगा। भूमि अर्जन पुनर्वासन एवं पुर्न व्यवस्थापन प्राधिकरण (लारा कोर्ट) के एक महत्वपूर्ण फैसले के बाद, लगभग तीस हेक्टेयर भूमि से जुड़े लगभग दो सौ काश्तकारों को यह लाभ मिलने की संभावना है। यह फैसला उन किसानों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है, जिनकी जमीनें लगभग 20 साल पहले जीडीए द्वारा अधिग्रहित की गई थीं।
15 प्रतिशत ब्याज के साथ 48 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा
लारा कोर्ट ने काश्तकारों की जमीनों पर जीडीए के कब्जे की तिथि से 15 प्रतिशत ब्याज के साथ 48 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा देने का आदेश दिया है। अधिग्रहण के समय, किसानों को प्रति हेक्टेयर 16 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था, जो अब बढ़कर 48 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर हो गया है। इसके अतिरिक्त, जीडीए को किसानों को ब्याज भी देना होगा। यह वृद्धि उन किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता है, जिन्होंने अपनी जमीनें विकास परियोजनाओं के लिए दी थीं।
खोराबार टाउनशिप और मेडिसिटी परियोजनाओं का विकास
अधिग्रहित भूमि पर अब खोराबार टाउनशिप और मेडिसिटी परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं। इन परियोजनाओं के कारण, क्षेत्र में विकास की गति तेज हुई है, लेकिन काश्तकारों को उनकी जमीनों का उचित मुआवजा नहीं मिल रहा था, जिसके लिए वे लम्बे समय से न्याय की गुहार लगा रहे थे।
भूमि अर्जन पुनर्वासन एवं पुर्न व्यवस्थापन प्राधिकरण का निर्णय
भूमि अर्जन पुनर्वासन एवं पुर्न व्यवस्थापन प्राधिकरण (लारा कोर्ट) के न्यायाधीश उदय भान सिंह की अदालत में, अधिवक्ता अरुण कुमार सिंह ने बढ़े हुए मुआवजे की मांग के लिए मुकदमा दायर किया था। चंद्रभान सिंह व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार और सुरेश पासवान व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मुकदमों में कई काश्तकार शामिल हुए।