GO GORAKHPUR: नगर निगम की देखरेख में संचालित हो रहा कान्हा उपवन ‘बे—चारा’ है. उसकी बेचारगी की वजह अव्यवस्था है. सुपरवाइजर को पता नहीं कि चारा कहां से आता है, और कहां जाता है. वहां कितने पशु हैं यह भी कान्हा उपवन के सुपरवाइजर को नहीं मालूम.
शनिवार को दिन में लगभग एक बजे महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव अचानक कान्हा उपवन का जायजा लेने पहुंच गए. यहां पर उन्हें हर ओर अव्यवस्था ही अव्यवस्था नजर आई. इस उपवन में महापौर को कुछ भी ठीक नहीं मिला. अधिकांश नादों में उन्हें न तो भूसा मिला और न ही चोकर. कुछ नाद ऐसे जरूर मिले जिनमें बिना पानी और चोकर के भूसा डला हुआ था. महापौर ने भूसा घर को भी चेक किया. यहां पर उन्हें सड़ा और काला भूसा रखा मिला. खराब भूसा को उन्होंने तत्काल हटाने का निर्देश दिया. उन्होंने कान्हा उपवन के सुपरवाइजर धनंजय सिंह से कुछ बेसिक सवाल पूछे. सुपरवाइजर उन्हें कोई जानकारी नहीं दे सके. उनके पास कोई रिकार्ड या रजिस्टर तक नहीं था, जिससे पशुओं की संख्या और स्टॉक के बारे में कोई जानकारी नहीं हो सके. सुपरवाइजर ने महापौर को बताया कि पशुओं को हरा चारा दिया जाता है, जबकि निरीक्षण में मौके पर सूखे चारे की डंठियां भर मिलीं. दोपहर बाद तक उसकी छंटाई भी नहीं हुई थी. निरीक्षण के समय ठेकेदार भी मौजूद नहीं थे. फोन कर उन्हें रिकार्ड दिखाने का निर्देश दिया गया है. ठेकेदार को चेतावनी दी गई है कि दोबारा कमी मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, जबकि पशु चिकित्सक को पशुओं की चिकित्सकीय जांच कराकर दवाएं व टीकाकरण कराना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया.
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