हमसफ़र एक्सप्रेस (12572) के अंदर का दृश्य |
Go Gorakhpur: गोरखपुर से आनंद विहार के बीच चलने वाली हमसफ़र एक्सप्रेस समय पर पहुंचना भूल गई है. पूरी तरह से एसी इस ट्रेन का किराया, इस रूट की दूसरी ट्रेनों के मुकाबले अधिक है, लेकिन यात्री सुविधाओं और वक़्त पर पहुंचने के पैमाने पर यह ट्रेन कहीं पीछे है. आनंद विहार या गोरखपुर से यह ट्रेन चलती तो तय समय पर है लेकिन गंतव्य पर कब पहुंचेगी इसका पता नहीं होता. रविवार को भी हमसफ़र एक्सप्रेस (12572) तय समय से दो घंटे की देरी से गोरखपुर जंक्शन पर पहुंची.
दिसंबर 2016 में हुई थी शुरुआत: साल 2016 में देश की पहली हमसफ़र एक्सप्रेस गोरखपुर और आनंद विहार के बीच चलाई गई थी. गोरखपुर से नई दिल्ली की यात्रा करने वालों की तादाद काफी है. यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के मकसद से रेल मंत्रालय ने दिसंबर 2016 में सप्ताह में सातों दिन हमसफ़र ट्रेन का संचालन तय किया था. यह ट्रेन सप्ताह में चार दिन बढ़नी से होकर और तीन दिन बस्ती से होकर दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन तक जाती है. आनंद विहार से वापसी का भी सप्ताह का यही शेड्यूल है. रेल मंत्रालय ने जब इस ट्रेन की शुरुआत की थी तो इसे कॉमन मैन के लिए एसी की सबसे बेहतरीन सुविधाओं से लैस ट्रेन बताया गया था. संचालन के कुछ समय बाद से ही यात्री इस ट्रेन में असुविधाओं की भरमार महसूस कर रहे हैं.
सामान्य से ज्यादा किराया, सुविधाएं गायब: गो गोरखपुर की टीम ने रविवार को रेलवे स्टेशन पर आनंद विहार से पहुंची हमसफ़र एक्सप्रेस का जायजा लिया और यात्रियों से बात की. ज्यादातर यात्रियों ने ट्रेन में सफाई, समय पर न पहुंचने और पेंट्री की सुविधा न होने पर असंतुष्टि दिखाई. लोगों का कहना था कि सामान्य से ज्यादा किराया देने के बाद भी सुविधाएं नहीं हैं.
हमसफ़र एक्सप्रेस (12572) में बर्थ के नीचे फैली गंदगी |
रविवार को दो घंटे विलंब से पहुंची ट्रेन: हमसफ़र एक्सप्रेस (12572) के गोरखपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन पर पहुंचने का तय समय 9ः30 बजे है. रविवार को यह ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर आठ पर साढ़े ग्यारह बजे पहुंची. इस ट्रेन से पहुंची यात्री प्रियदर्शिनी, मेघना, अजय, मानसी आदि ने बताया कि लखनऊ के बाद से ही ट्रेन हर उस प्लेटफॉर्म पर रुकती रही जहां स्टॉपेज नहीं था. नकहा से लेकर धर्मशाला तक ट्रेन बिलकुल रेंगती रही. यात्रियों ने बताया कि चादर और पिलो काफी गंदे मिले. कोच अटेंडेंट से शिकायत पर उसने बदलकर दूसरी चादर दी. डिब्बे में सफाई का ध्यान नहीं रखा जा रहा है. किसी कोच में डस्टबिन नहीं था, जबकि हमसफ़र में डस्टबिन रखे जाने की घोषणा की गई थी. ट्रेन चलने के दो घंटे के भीतर ही बोगियां गंदी हो गईं, लेकिन सफाईकर्मी नहीं दिखा.
हमसफ़र एक्सप्रेस (12572) में डिस्प्ले बोर्ड पर वेलकम मैसेज ही दिखता रहा |
दिखावे के लिए लगी है जीपीएस डिस्प्ले स्क्रीन: कोच बी-15 के यात्रियों ने बताया कि उनकी बोगी में लगी डिस्प्ले स्क्रीन खराब पड़ी थी. आगे-पीछे की बोगियों का भी यही हाल था. ट्रेन चलते-चलते कहां ठहर जाती है, इसका पता ही नहीं लगा. वे बस घड़ी देखकर अंदाजा लगाते रहे कि ट्रेन अब फलां स्टेशन के आसपास होगी. कोच में लगे डिस्प्ले में कोई हरकत नहीं थी. यात्रियों की शिकायत ट्रेन के गंतव्य पर पहुंचने में विलंब को लेकर दिखी. उनका कहना था कि तय स्टॉपेज की बजाय कहीं भी ठहर जाने से यात्रा बोझिल और उबाऊ हो जाती है.
नहीं लगती पेंट्री, चाय के लिए भी तरसते हैं लोग: इस एक्सप्रेस की शुरुआत के समय घोषणा की गई थी कि हमसफ़र के हर कोच में मिनी पेंट्री होगी. यात्री अपनी पसंद के अनुसार चाय, काफी या सूप पा सकेंगे. हालात यह हैं कि यात्रियों को चाय के लिए भी तरसना पड़ता है. यात्री महेश गुप्ता ने बताया कि सुबह चाय के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. यह ट्रेन किसी कायदे के स्टेशन पर तो रुकती नहीं. आउटर पर खड़ी हो जाती है, जिसकी वजह से चाय मिलती ही नहीं है.
गौरतलब है कि हमसफ़र की हर बोगी में डस्टबिन, दुर्गंध नियंत्रण प्रणाली, हर बर्थ पर बॉटल होल्डर, जीपीएस की मदद से यात्रियों को ट्रेन की लाइव लोकेशन, स्पीड आदि की सूचना देने वाला सिस्टम, मिनी पैंट्री, साइड बर्थ पर कर्टेन, गैलरी और केबिन के बीच कर्टेन, हर कोच में 6 सीसीटीवी कैमरे, स्मोक और हीट का पता लगाने वाले सिस्टम की घोषणा की गई थी, लेकिन ये घोषणाएं गोरखपुर से आनंद विहार के बीच संचालित हो रही हमसफ़र एक्सप्रेस पर लागू नहीं होती दिख रही हैं.