GO GORAKHPUR: बृजमनगंज के रहने वाले उमेश निषाद जब पाकिस्तान की जेल से 27 महीने बाद छूटे तो उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि उन्हें यह नया जीवन मिलेगा. वह अपने परिवार के बीच दोबारा पहुंच पाएंगे. 27 महीने हर वक्त बस यह खतरा मंडरा रहा था कि अगले पल न जाने क्या हो जाए. न खाने का भरोसा था और न ही जीवन की आस. लेकिन विधि के विधान में शायद उन्हें अपनों से मिलना लिखा था. उमेश पिछले अमृतसर के बाघा बार्डर से भारत की सीमा में पहुंचा तो आंखों में जीवन जीने की चमक दिखी.
बृजमनगंज थाना क्षेत्र के ग्रामसभा बरगाहपुर निवासी उमेश नौकरी की तलाश में गुजरात गए थे. वहां उन्हें समुद्र में मछली मारने का काम मिला. 19 मार्च 2021 को उमेश मोटर बोट पर कुछ और लोगों के साथ सवार होकर मछली मार रहे थे. इसी दौरान मोटर बोट का पट्टा टूट गया. मोटर बोट पर उन लोगों का कोई नियंत्रण नहीं रहा. वह मोटर बोट बहते हुए पाकिस्तानी सीमा में चली गई. वहां पाकिस्तानी नेवी के जवानों ने मोटर बोट पर सवार सभी पांच लोगों सहित एक और व्यक्ति को पकड़ लिया. पाक नौसेना के जवान उन्हें कराची ले गए. पकड़े गए सभी लोगों को पुलिस कस्टडी में लेकर उनसे सख्ती से पूछताछ की गई. इसके बाद उन्हें मलीर जेल में बंद कर दिया गया.
नाश्ते में मिलती था चाय व एक रोटी: उमेश ने बताया कि जेल में सुबह नाश्ते में एक कप चाय व एक रोटी मिलती थी. दोपहर में दो रोटी व सब्जी मिलती थी. जिससे पेट पूरी तरह से नहीं भर पाता था. उमेश ने मीडिया को बताया कि पाकिस्तान की जेल में भारतीयों के साथ बहुत खराब बर्ताव किया जाता है. वहां हर वक्त डर का साया मंडराता रहता है. जीवन पर हर घड़ी संकट महसूस होता था. परिवार से मिलने की आस टूट चुकी थी.
उमेश ने बताया कि एक जून को जब कराची जेल से रिहा किया गया तो जीवन की आस दिखने लगी. तीन जून को पाकिस्तानी सैनिकों ने 200 मछुआरों को बाघा बार्डर पर बीएसएफ को सुपुर्द किया. बीते माह 9 जून को उमेश जब बृजमनगंज अपने घर पहुंचे तो परिवार को देखकर आंसू छलक पड़े.
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