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बकाया
और भुगतान की रस्साकशी में महानगर की सड़कें अंधेरे में डूब गई हैं. महानगर में 3500-4000 स्ट्रीट लाइटें महीनों से नहीं जल रही हैं. हर दिन स्ट्रीट लाइटों के खराब होने का यह आकड़ा बढ़ता जा रहा है. अधिकांश वार्डों में स्ट्रीट लाइटें खराब पड़़ी हुई हैं. दर्जनभर से अधिक वार्डों के पार्षद ने अपने वार्डों में स्ट्रीट लाइटें न जलने की शिकायत संबंधित अधिकारी को दी है, लेकिन अंधेरा कायम है.

स्ट्रीट लाइटों की संख्या को लेकर नगर निगम और रखरखाव करने वाली फर्म ईईएसएल के दावे अलग–अलग हैं. नगर निगम के मुताबिक नगर में 34724 स्ट्रीट लाइटें हैं‚ जबकि फर्म के मुताबिक स्ट्रीट लाइटों की संख्या 40 हजार से अधिक है. इसे लेकर भी बिल के भुगतान में खींचतान की स्थिति बनी हुई है. स्ट्रीट लाइट की संख्या के आधार पर फर्म को भुगतान किया जाता है. बिल का 30 प्रतिशत निगम प्रशासन तथा 70 प्रतिशत शासन की ओर से दिया जाता है. फर्म की ओर से लगभग 50 लाख रुपये का बिल हर महीने प्रस्तुत किया जा रहा है. फर्म का कहना है कि निगम पर उसका कई करोड़ रुपये बकाया है जबकि निगम प्रशासन के मुताबिक जुलाई में भी फर्म को भुगतान किया गया है. साल 2017 से स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत का जिम्मा ईईएसएल को दिया गया है. सर्वे में कम मिली स्ट्रीट लाइटों की संख्या की जानकारी निगम ने शासन को दे दी है. निगम प्रशासन का मानना है कि फर्म अधिक बिल निगम से वसूल रही थी. निगम का प्रयास है कि फर्म ने जो अधिक भुगतान लिया है‚ उसे समायोजित किया जाएगा. हालांकि शासन ने अभी तक निगम के आग्रह पर मार्गदर्शन नहीं किया है.

बीते शनिवार को नगर निगम और फर्म ईईएसएल के बीच बैठक हुई. इसमें सहमति बनने के बाद मंगलवार से स्ट्रीट लाइट के मरम्मत का काम फिर से शुरू होने की उम्मीद जगी है. लगभग एक पखवारे से फर्म के कर्मचारियों ने काम ठप कर रखा है‚ जिससे महानगर में डार्क एरिया का दायरा बढ़ता जा रहा है. हालांकि नगर निगम का दावा है कि 47 से अधिक कर्मचारी स्ट्रीट लाइटों की शिकायतों का समाधान कर रहे हैं.

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By गो गोरखपुर

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