GO GORAKHPUR: शहर के 33 ढाबे 5 स्टार रेटिंग की दौड़ में शामिल किए गए हैं. स्वच्छ ढाबा अभियान के तहत नगर निगम ने इन ढाबों की पहचान कर ली है. इस अभियान के दौरान ढाबों में सफाई, स्वच्छता, कचरा प्रबंधन की व्यवस्था उन्नत करने के साथ ही यहां आने वाले ग्राहकों के अनुभव को भी बेहतर बनाना है. रोड साइड ढाबों के सफाई और स्वच्छता के पैमाने पर खरा उतरने से नागरिकों में भी सफाई के प्रति जागरूकता बढ़ेगी. इस अभियान से शहर की ‘स्वच्छ रैंकिंग’ में भी सुधार की उम्मीद की जा रही है.
स्वच्छ ढ़ाबा अभियान चलाकर ढ़ाबों को भी साफ-सुथरा बनाया जाएगा. आने वाले दिनों में ढ़ाबों की रेटिंग की जाएगी. ढ़ाबों को एक, तीन व पांच स्टार की रेटिंग दी जाएगी. नगर निगम पहली बार ढ़ाबों की रेटिंग तय करेगा. इससे ढाबों की विश्वसनीयता तो बढ़ेगी ही पार्किंग से लेकर शौचालयों तक में सफाई का स्तर भी सुधरेगा.
नगर निगम ने 31 दिसंबर से 3 जनवरी तक अभियान चलाकर महानगर में तथा मुख्य मार्गों पर संचालित ढ़ाबों की पहचान का काम पूरा कर लिया है. अब उनका पंजीकरण भी किया जाएगा. स्वच्छ भारत मिशन नगरीय के तहत यह अभियान चलाया जा रहा है जिसका मकसद ढ़ाबों से निकलने वाले बल्क वेस्ट का निस्तारण सुनिश्चित कराना है. माना जा रहा है कि अधिकांश ढ़ाबों से निकलने वाले वेस्ट को फेंक दिया जाता है, जिससे इधर-उधर गंदगी होती है. ऐसे में ढाबा संचालकों को स्रोत पर ही सूखे-गीले कूड़े की छंटनी, उसके निस्तारण, आनसाइट कंपोस्टिंग के लिए प्रेरित किया जाएगा. अभियान में आमजन को भी जोड़ा जाएगा जिससे इसका असर सुनिश्चित हो .
रेटिंग के ये होंगे पैमाने
सिंगल स्टार रेटिंग: सिंगल यूज प्लास्टिक व प्लास्टिक कटलरी का उपयोग न हो. हरे व नीले रंग की विन्स की उपलब्धता हो. गीला- सूखा कूड़ा की छंटनी व निस्तारण साफ शैचालय. गूगल मैप या टायलेट लोकेटर पर शौचालय की लोकेशन अपलोड हो. ओडीएफ श्रेणी की सभी शर्तें पूरी करनी होगी. ढ़ाबे के आसापास कूड़े का ढेर न हो. ढ़ाबे पर वाल पेंटिंग के जरिये स्वच्छता का संदेश दिया गया हो.
थ्री स्टार रेटिंग: ढ़ाबे को सिंगल स्टार की सभी शर्तों को पूरा करने के साथ ही गीले कचरे से कम्पोस्ट या काम्पैक्ट बायोगैस की उपलब्धता जरूरी होगी. साफ पार्किंग व सुंदरीकरण भी होना चाहिए.
फाइव स्टार रेटिंग : ढ़ाबे को एक और तीन स्टार रेटिंग की सभी शर्तों को पूरा करना होगा. गीले-सूखे कूड़े का पुनः उपयोग करने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी. ढ़ाबे को जीरो वेस्ट तथा रिडयूज, रीयूज और रिसायकिल को फालो करना होगा. ढ़ाबे पर वेस्ट टू वंडर आइटम या सेल्फी प्वाइंट होना चाहिए. ढ़ाबे पर कबाड़ से बने उत्पादों की विक्री के लिए छोटा स्टाल भी लगाना होगा.
यह है अभियान की समय सीमा
- 3 जनवरी तक ढ़ाबे की पहचान व पंजीकरण,
- 5 से 12 जनवरी तक चिह्नित ढावों पर आईईसी गतिविधियों का निष्पादन,
- 13 जनवरी से 20 मार्च तक ढ़ाबों की स्थिरता, रखरखाव के लिए मानीटरिंग,
- 20 मार्च से 31 मार्च तक रैंकिंग के आधार पर ढ़ाबों को पुरस्कार वितरण