GO GORAKHPUR: गोरखपुर में पंजाब नेशनल बैंक के कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा एक उपभोक्ता को उठाना पड़ा. उपभोक्ता ने बैंक की शाखा में बचत खाता और चालू खाता दोनों खोल रखा था. बैंक कर्मियों ने चालू खाते के चेक का भुगतान बचत खाते से कर दिया. बैंक की इस लापरवाही के खिलाफ उपभोक्ता ने कोर्ट का सहारा लिया. जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने इस मामले में बैंक को उपभोक्ता के खाते से निकाली गई रकम छह प्रतिशत ब्याज की दर से लौटाने का आदेश दिया है.


GO GORAKHPUR: गोरखपुर में पंजाब नेशनल बैंक के कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा एक उपभोक्ता को उठाना पड़ा. उपभोक्ता ने बैंक की शाखा में बचत खाता और चालू खाता दोनों खोल रखा था. बैंक कर्मियों ने चालू खाते के चेक का भुगतान बचत खाते से कर दिया. बैंक की इस लापरवाही के खिलाफ उपभोक्ता ने कोर्ट का सहारा लिया. जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने इस मामले में बैंक को उपभोक्ता के खाते से निकाली गई रकम छह प्रतिशत ब्याज की दर से लौटाने का आदेश दिया है.

वरिष्ठ अधिवक्ता बृज बिहारी लाल श्रीवास्तव
बृज बिहारी लाल श्रीवास्तव

वरिष्ठ अधिवक्ता बृज बिहारी लाल श्रीवास्तव ने बताया कि उनके मुवक्किल गोपालपुर पोस्ट शिवापुरी कालोनी निवासी रामायन सिंह का पंजाब नेशनल बैंक की बैंक रोड स्थित शाखा में बचत और चालू खाता दोनों था. दोनों खाते का चेक बुक अलग-अलग था. साल 2010 में चालू खाते के चेक बुक में एक आखिरी चेक बचा हुआ था, लेकिन बाद में वह चेक कहीं गायब हो गया. चालू खाते के उस गायब हुए चेक में एक लाख 60 हजार रुपये की रकम भरकर संजय कुमार नाम के किसी व्यक्ति ने रामायन सिंह के बचत खाते में उसे लगाया और बैंक ने उस चेक पर भुगतान कर दिया. इसकी जानकारी होने पर रामायन सिंह ने बैंक में इसकी शिकायत की. बैंक ने इसे अपनी लापरवाही नहीं माना. इस पर रामायन सिंह ने उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में मामले को रखा. 

वरिष्ठ अधिवक्ता बृज बिहारी लाल श्रीवास्तव ने कहा कि जब चेक चालू खाते का था तो बैंक ने किन परिस्थितियों में उसका भुगतान बचत खाते से किया? आयोग के सामने यह दलील दी गई तो बैंक पक्ष इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया. इस मामले में न्याय पाने में उपभोक्ता को करीब तेरह साल लग गए. 
उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग पंजाब नेशनल बैंक के चीफ मैनेजर के खिलाफ निर्णय दिया है कि वह उपभोक्ता रामायन सिंह के खाते से निकाली गई धनराशि एक लाख 60 हजार रुपये छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान करें. दो माह के अंदर आदेश का अनुपालन न करने पर ब्याज आठ प्रतिशत देय होगा. इसके अतिरिक्त बतौर क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय के रूप में 23 हजार रुपये भी उपभोक्ता को प्रदान करें. 

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By गो गोरखपुर

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