मोडस ऑपरेंडी : ‘भूलेख’ साइट से निकालते थे आधार नंबरऔर फिंगर प्रिंट फिर ईजी-पे के माध्यम से ग्राहक के खातों से उड़ाते थे रुपये
पकड़े गए जालसालों के बारे में जानकारी देतीं एसपी क्राइम, गोरखपुर. |
GO GORAKHPUR: गोरखपुर से दो ऐसे जालसाज पकड़े गए हैं जिनकी करतूत पर विश्वास करना मुश्किल होगा. गोरखपुर शहर में बैठकर हैदराबाद और आसपास के लोगों के बैंक खाते खाली कर रहे थे. उनकी ठगी का तरीका इतना बेजोड़ था कि इस गुत्थी को सुलझाने वाली जांच टीम भी हैरान रह गई. सरकारी वेबसाइट ‘भूलेख’ से लोगों का डेटा चुराकर, ईजी-पे (Easy Pay) कंपनी के ऐप का गलत इस्तेमाल कर बैंक खाते में सेंध लगाने वाले गिरोह के दो शातिर पुलिस के हत्थे चढ़े हैं. पुलिस ने इस फर्जीवाड़े में शामिल चार एजेंटों की पहचान की है. उनकी तलाश की जा रही है. गिरोह का सरगना भी अभी पकड़ से दूर है.
साइबर अपराधी आपके बैंक खाते तक पहुंचने के लिए अब सरकारी वेबसाइट ‘भूलेख’ का सहारा ले सकते हैं. सुनकर आप हैरान हो जाएंगे, लेकिन ऐसे ही कारनामे का खुलासा गोरखपुर पुलिस ने किया है. पकड़े गए दो अपराधी गोरखपुर और आजमगढ़ के रहने वाले हैं. समझा जा रहा है कि ये दोनों किसी बड़े रैकेट का हिस्सा भर हैं. गोरखपुर की एसपी क्राइम इन्दु प्रभा ने मीडिया को बताया कि जालसाज ईजी-पे (Easy Pay) ऐप के जरिए इस वारदात को अंजाम दे रहे थे. ईजी-पे प्राइवेट लिमिटेड के पुणे स्थित मुख्यालय में बैठने वाले मैनेजर विकास मकवाना ने डाक के जरिए गोरखपुर साइबर क्राइम में शिकायत दर्ज कराई थी. उनकी शिकायत थी कि उनके पार्टनर बैंक यस बैंक, एनएसडीएल पेमेंट बैंक, एक्वायर बैंक के उपभोक्ताओं ने फर्जी तरीके से खाते से रुपये निकलने की शिकायत की है. उनकी इस शिकायत पर साइबर थाने मामला दर्ज हुआ. इसकी जांच शुरू हुई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.
एसपी क्राइम ने बताया कि ईजी-पे कंपनी पेमेंट गेटवे की सुविधा पूरे देश में देती है. गोरखपुर में इसके करीब नौ हजार एजेंट हैं. ये एजेंट आधार से पैसा निकालना, मनी ट्रांसफर का काम करते हैं. इन्ही में से कुछ एजेंट द्वारा ईजी-पे कंपनी के ऐप का गलत इस्तेमाल कर फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया गया. ये हैदराबाद और आसपास के लोगों को निशाना बना रहे थे. ईजी-पे ऐप की मदद से ग्राहकों का आधार कार्ड संख्या और फिंगर प्रिंट के जरिए खाते से रकम उड़ा रहे थे. आधार नंबर और फिंगर प्रिंट के लिए वे भूलेख वेबसाइट की मदद ले रहे थे. इस साइट से रजिस्ट्री पेपर डाउनलोड कर उसमें अंकित आधार कार्ड संख्या तथा अंगूठे के निशान को लिटमस पेपर पर प्रिंट करके उसकी नकल कर लेते थे. वह आधार कार्ड संख्या और फिंगर प्रिंट की मदद से अनाधिकृत रूप से उनके खाते से रुपये निकाल लेते थे. ऐप की मदद से अधिकतम एक दिन में दस हजार की धनराशि निकाली जा सकती है. जांच में सामने आया कि ईजी-पे के गोरखपुर के कुछ एजेंटों ने उपभोक्ताओं का आधार कार्ड संख्या और अंगूठे के निशान का डेटा लेकर उनके बैंक अकाउंट से पैसा निकाल दूसरे खाते में ट्रांसफर कर लिया है.
एसपी क्राइम ने बताया कि अकाउंट खुलवाकर फर्जीवाड़ा की रकम को निकालने वाले दो जालसाजों को पुलिस ने रेलवे स्टेशन के पास से गिरफ्तार कर लिया. उनकी पहचान शाहपुर के धर्मपुर कॉलोनी निवासी विकास उर्फ विक्की साहनी और आजमगढ़ जिले के रौनापार क्षेत्र के इस्माइलपुर निवासी अक्षय यादव के रूप में हुई. पूछताछ में पता चला कि उन्हें फर्जीवाड़ा की रकम ट्रांसफर करने के लिए खाता उपलब्ध कराने व एटीएम से रकम निकालने पर कमीशन के तौर पर पांच प्रतिशन धनराशि दी जाती थी. विकास का रेलवे स्टेशन के सामने ट्रैवेल एजेंसी है. पुलिस ने उनके पास से 1 लाख 23 हजार नगद, बाइक, सोने-चांदी के जेवरात और छह मोबाइल बरामद किया है.