GO GORAKHPUR:मध्यरात्रि होने में अब कुछ ही घंटे शेष रह गए हैं,उस पवित्र घड़ी का सभी को बेसब्री से इंतजार है जब गिरिजाघरों की घंटियां बज उठेंगी और प्रभु यीशू का जन्म होगा. क्रिसमस पर्व की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. मसीही समुदाय के घरों व गिरजाघरों को रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया है. मसीही समाज आज की मध्य रात्रि प्रभु यीशु का जन्म उत्सव धूमधाम से मनाएगा.
कैथ्रेडल चर्च शहर के सबसे पुराना
गोरखपुर के सिविल लाइंस क्षेत्र में स्थित सेंट जोसेफ कैथ्रेडल चर्च शहर के सबसे पुराने चर्चों में से एक है. इसकी स्थापना वर्ष 1860 में हुई थी. चर्च में लगे तीन घंटे 1896 में लंदन से मंगाए गए थे. 50 किलोग्राम वजनी इस घंटे को मियर्स एंड स्टेन बैंक ने लंदन से भेजा था.
सेंट जोसेफ चर्च को शहर में महा गिरजाघर भी कहा जाता है. सेंट जोसेफ कैथ्रेडल चर्च को पहले लाल गिरजाघर के नाम से जाना जाता था क्योंकि यह चर्च पहले लाल रंग था.इसे खूबसूरतढंग से सजाया गया है.
उधर सेंट जोसेफ महागिरजाघर सिविल लाइंस में मां मरियम का मंदिर आकर्षक रूप से सजाया गया है. सामने चरनी का निर्माण किया गया है इसके पीछे गौशाला है, जहां पशुओं के साथ चरवाहे हैं, स्वर्ग दूत एंजेल की भी तस्वीर बनाई गई हैं. साथ ही स्वर्ग दूतों के बीच में बाल रूप प्रभु यीशु मसीह की झांकी एक टोकरी में रखी गई है.
सेंट मार्क चर्च स्टैनपुर पादरी बाजार, सेंट जॉन चर्च बशारतपुर, क्राइस्ट चर्च शास्त्री चौक, एंड्रयूज चर्च कौवा बाग, सेंट थॉमस चर्च धर्मपुर, मसीही कलीसिया खरैया पोखरा, पीस टर्बिनिकल चर्च मयूर विहार, फुल गोस्पेल चर्च मोती पोखरा, सैंट एंथोनी चर्च धर्मपुर आदि चर्च भी रंग-बिरंगी रौशनी से जगमगा रहे हैं.
होंगी विशेष प्रार्थना सभाएं
मान्यता के अनुसार प्रभु यीशु मसीह का जन्म 25 दिसंबर के पहले पहर अर्थात 24 दिसंबर की मध्य रात्रि 12 से तीन के बीच हुआ था. इसलिए इस दिन रात के 12 बजते ही गिरजाघरों में प्रभु आगमन की खुशी में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं. दूसरे दिन 25 दिसंबर को क्रिसमस का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है.
बाजार में चहल-पहल
क्रिसमस के मद्देनजर शुक्रवार को सुबह से बाजारों में रौनक दिखी. शहर के गोलघर, रेती चौक, आजाद चौक, बशारतपुर, रेलवे स्टेशन सहित तमाम मसीही मोहल्लों में दुकानों को सजाया गया है. चॉकलेट, कैंडी गिफ्ट, क्रिसमस केक की खरीदारी के लिए दुकानों पर भीड़ उमड़ रही है.
केक के आर्डर
इस अवसर पर केक का विशेष महत्व है.मसीही समाज के लोग अपने घर के बच्चों के साथ सुबह के वक्त बॉक्स में केक सामग्री लेकर बेकरी की तरफ जाते दिखाई दिए. केक बनाने में बच्चों को लेकर जाने का अर्थ मसीही परंपरा से बच्चों को अवगत कराना है. बच्चों में कागजों पर अपने नाम, नंबर को लिखकर केक के ऊपर चिपकाने की होड़ लगी रहती है. जब केक बेक होकर बेकरी से बाहर होता है तो बच्चे अपने नाम और नंबर को मिलाकर उसे इकट्ठा कर लेते हैं. मेहमान और अजीजों के लिए घरों में वेज नॉनवेज के लजीज व्यंजन बनाने की तैयारी हो रही है.