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Photo: Social Media |
Go Gorakhpur: वाराणसी में गंगा नदी के बाद अब कुशीनगर की हरहा नदी में अमेरिकन सकरमाउथ कैटफिश मिली है. यह चर्चा का विषय बना हुआ है. विशेषज्ञ इस मछली को इकोसिस्टम के लिए खतरा मान रहे हैं. बुधवार की सुबह खड्डा के बनचहरी गांव के पास हरहा नदी में मछुआरों ने जाल डाला था. एक मछुआरे के जाल में सकरमाउथ कैटफिश फंसी मिली. इसको देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटने लगी. इस मछली की चार आंखें हैं और मुंह अजीब है. आमतौर पर यह मछली हजारों किमी दूर दक्षिण अमेरिका की अमेजन नदी में पाई जाती है. यह यहां कैसे पहुंची, यह लोगों में कौतूहल का विषय बनी हुई है. दो वर्ष पूर्व वाराणसी की गंगा नदी में भी इस प्रजाति की मछली देखी गई थी. विशेषज्ञों का मानना है कि इस मछली का यहां मिलना नदी के इकोसिस्टम के लिए चिंताजनक है.
वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया व वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड की संस्थाओं में काम कर रहे लोग भी इस मछली को देखकर हैरत में हैं. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के एरिया कोआर्डिनेटर कमलेश मौर्या ने स्थानीय मीडिया को बताया कि यह चिंता का विषय है. नारायणी सहित दोन की नदियों के लिए यह खतरनाक है. क्योंकि यह मांसाहारी मछली है. डब्ल्यूटीआई से जुड़े सुब्रत लेहरा ने स्थानीय मीडिया को बताया कि यह मछली मांसाहारी है और अपने इको सिस्टम के लिए खतरा है. उन्होंने कहा कि यह स्थानीय नदियों के इकोसिस्टम का विनाश कर सकती है. यह आसपास के जीव–जंतुओं को खाकर जिंदा रहती है. इस वजह से यह किसी महत्वपूर्ण मछली या जीव को पनपने नहीं देती है.