सरकारी दफ़्तर की गौरव गाथा: ‘सेवा-शुल्क’ लेते हुए एक कर्मयोगी रंगे हाथ ‘सम्मानित’
सरकारी दफ़्तर में घूसखोरी पर एक व्यंग्यात्मक लेख। पढ़ें कैसे एक ‘कर्मयोगी’ लिपिक को पाँच हज़ार रुपये का ‘सेवा-शुल्क’ लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया और इस घटना ने सदियों पुरानी ‘परंपरा’ को कैसे ‘अपमानित’ किया।