कानपुर: यदि किसी बच्चे की तिल्ली बढ़ी हुई हो, उसे बार-बार पीलिया हो रहा हो और खून की उल्टी हो रही हो, तो यह लिवर संबंधी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के हिपेटोलॉजिस्ट डॉ. रंजीत कुमार निम ने बताया कि प्रसव के बाद नवजात शिशु की नाड़ की सही तरीके से सफाई न करने और उसे संक्रमित तरीके से काटने के कारण यह दिक्कत हो सकती है, जिससे बच्चे का लिवर खराब हो सकता है।
डॉ. निम ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में ढाई सौ रोगियों पर शोध किया है। उन्होंने पाया कि समय पर इलाज और लिवर की नली में शंट का उपयोग करके इस गंभीर स्थिति से बच्चों को बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि बच्चे की नाड़ काटते समय संक्रमण के कारण लिवर को रक्त की आपूर्ति करने वाली एक नली बाधित हो जाती है।
लिवर में सामान्य रूप से दो नलियों से रक्त का प्रवाह होता है। एक नली में रुकावट आने से बच्चे में कमजोरी आने लगती है और खून की उल्टी भी हो सकती है। डॉ. निम ने इस बात पर जोर दिया कि इस समस्या का समय पर सही निदान (डायग्नोसिस) होना अत्यंत आवश्यक है। यदि इसका समय पर पता नहीं चलता है, तो बच्चे के बड़े होने पर उसका लिवर कमजोर रह सकता है।
अपने शोध के निष्कर्षों को साझा करते हुए डॉ. निम ने बताया कि शोध में शामिल अधिकांश रोगियों ने तिल्ली बढ़ने की शिकायत की थी। इसके अतिरिक्त, उन्हें बार-बार पीलिया होने की समस्या भी थी। रोगियों में पेट में भारीपन जैसे लक्षण भी देखे गए। उन्होंने बताया कि 140 रोगियों की बायोप्सी भी कराई गई थी। जिन रोगियों के लिवर में शंट डालकर रक्त की आपूर्ति को सामान्य किया गया, उनका लिवर सुरक्षित पाया गया।
इस समस्या से बचाव के उपायों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. निम ने बताया कि संस्थागत प्रसव (अस्पताल में प्रसव) को बढ़ावा देना इसका एक महत्वपूर्ण उपाय है। अस्पतालों में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है, जिससे संक्रमण का खतरा कम होता है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उनके शोध में शामिल अधिकांश रोगी ऐसे थे जिनका प्रसव घर पर दाई द्वारा कराया गया था। उन्होंने आगाह किया कि कमजोर लिवर वाले बच्चों में वायरल संक्रमण होने पर लिवर के जल्दी खराब होने का खतरा बढ़ जाता है।