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गोरखपुर चिड़ियाघर: वन्यजीवों के लिए बनेंगे अलग आइसोलेशन वार्ड, जू-कीपरों को मिलेगी ट्रेनिंग

गोरखपुर चिड़ियाघर
गोरखपुर चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू जांच कमेटी ने दी रिपोर्ट। वन्यजीवों के लिए अलग आइसोलेशन वार्ड और जू-कीपरों को ट्रेनिंग के सुझाव। 5 वन्यजीवों की हो चुकी है मौत।

गोरखपुर: शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान (चिड़ियाघर) में बर्ड फ्लू के मामलों को लेकर शासन की ओर से नामित जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। टीम ने चिड़ियाघर के अस्पताल में वन्यजीवों के लिए अलग आइसोलेशन वार्ड बनाने और जू-कीपरों की विशेष ट्रेनिंग के सुझाव दिए हैं, ताकि भविष्य में यदि ऐसा कोई संक्रमण फैलता है तो उपचार के लिए पर्याप्त सुविधाएँ उपलब्ध रहें।

जांच कमेटी में शामिल थे वन्यजीव विशेषज्ञ

चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू से कुछ वन्यजीवों की मौत के बाद शासन की ओर से नामित एक उच्च स्तरीय कमेटी जाँच के लिए पहुँची थी। इस कमेटी में वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) से डॉ. पराग निगम, इंडियन वेटनेरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IVRI), बरेली से डॉ. एम. करिकलन, WII के रिटायर्ड हेड वाइल्डलाइफ हेल्थ और उत्तराखंड के रिटायर्ड प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. पीके मलिक जैसे विशेषज्ञ शामिल थे।

डेढ़ माह में 5 वन्यजीवों की हो चुकी है मौत

चिड़ियाघर में पिछले डेढ़ माह के अंदर पाँच वन्यजीवों की मौत हो चुकी है। सबसे पहले 30 मार्च को पीलीभीत से रेस्क्यू कर लाए गए बाघ केसरी की मौत हुई थी। इसके बाद 5 मई को मादा भेड़िया भैरवी, 7 मई को बाघिन शक्ति और 8 मई को तेंदुआ मोना की मौत हुई थी। 23 मई को एक कॉकाटील (एक प्रकार का पक्षी) की भी मौत हो गई थी।

अस्पताल में सुधार और क्षमता वर्द्धन के सुझाव

जांच टीम ने 21 और 22 मई को चिड़ियाघर परिसर और अस्पताल का गहन निरीक्षण किया था। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शासन और चिड़ियाघर प्रशासन को भेज दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल की व्यवस्था में सुधार की तत्काल आवश्यकता है। कमेटी ने सुझाव दिया है कि:

  • बीमार वन्यजीवों के इलाज के लिए अलग आइसोलेशन वार्ड बनाए जाएँ।
  • छोटे-बड़े वन्यजीवों के लिए पर्याप्त बाड़ा (घेरा) होना चाहिए।
  • जू-कीपर और कर्मचारियों की समय-समय पर ट्रेनिंग आयोजित की जाए।
  • उनके लिए क्षमता वर्द्धन कार्यशालाएँ (Capacity Building Workshops) आयोजित की जानी चाहिए।

निरीक्षण के दौरान टीम ने अस्पताल में पक्षियों के क्रॉल (पिंजरे) के बगल में ही तेंदुए और बाघ को देखकर हैरानी जताई थी, क्योंकि यह स्थिति संक्रमण फैलने के लिहाज़ से ठीक नहीं थी। अस्पताल का आकार भी टीम को छोटा लगा था।

इस संबंध में चिड़ियाघर के उप निदेशक एवं मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि WII की टीम ने रिपोर्ट भेज दी है और इसमें जो सुझाव दिए गए हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर लागू किया जाएगा। यह पहल चिड़ियाघर में वन्यजीवों के स्वास्थ्य प्रबंधन को बेहतर बनाने में मदद करेगी।



गो गोरखपुर ब्यूरो

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