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उपवास न रखने वाले जान लें..अल्जाइमर से बचना है तो फास्टिंग है ज़रूरी

अल्जाइमर रोग तेजी से आम होता जा रहा है. पूर्वांचल में भी इस रोग के हजारों मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं. अल्जाइमर रोग का जो सबसे प्रचलित लक्षण पूर्वांचल में देखने को मिलता है वह है डिमेंशिया. इसमें मस्तिष्क की कार्यक्षमता में गिरावट सहित कुछ और लक्षण देखने को मिलते हैं. डिमेंशिया के मरीजों की याददाश्त कम हो जाती है या कभी-कभी बिलकुल चली जाती है. ऐसे मरीज अपनी समस्या दूसरों से कह नहीं पाते, ठीक से संवाद नहीं कर पाते हैं. उनका व्यक्तित्व या व्यवहार पूरी तरह से बदल जाता है.
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अल्जाइमर रोग तेजी से आम होता जा रहा है. पूर्वांचल में भी इस रोग के हजारों मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं. अल्जाइमर रोग का जो सबसे प्रचलित लक्षण पूर्वांचल में देखने को मिलता है वह है डिमेंशिया. इसमें मस्तिष्क की कार्यक्षमता में गिरावट सहित कुछ और लक्षण देखने को मिलते हैं. डिमेंशिया के मरीजों की याददाश्त कम हो जाती है या कभी-कभी बिलकुल चली जाती है. ऐसे मरीज अपनी समस्या दूसरों से कह नहीं पाते, ठीक से संवाद नहीं कर पाते हैं. उनका व्यक्तित्व या व्यवहार पूरी तरह से बदल जाता है.

यह मर्ज जहां उम्र, आनुवंशिकी, जीवनशैली और दूसरी चिकित्सा स्थितियों की वजह से हो सकता है, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए शोधों में यह सामने आया है कि इसमें मरीज के मस्तिष्क में हानिकारक प्रोटीन का संचय हो जाता है जिसकी वजह से वह अपनी याददाश्त खो देता है. इस हानिकारक प्रोटीन का नाम अमाइलॉइड है. अल्जाइमर रोग में अनुसंधान का एक प्रमुख क्षेत्र अमाइलॉइड प्रोटीन बना हुआ है.

अमाइलॉइड एक बड़ी सी प्रोटीन झिल्ली है जो तंत्रिकाओं के विकास और मरम्मत के लिए ज़रूरी है. लेकिन उम्र बढ़ने के साथ इसका दूषित रूप तंत्रिका की कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है. इससे विचार और स्मृति की हानि होने लगती है जो अल्जाइमर से जुड़ी है. चूहों पर किए गए प्रयोग में यह पाया गया है कि अगर हम थोड़े थोड़े अंतराल पर उपवास रखें तो मस्तिष्क में अमाइलॉइड का संचय नहीं होने पाता है. सितंबर 2022 में इस संबंध में एक आलेख अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित किया गया था. उसमें इस बात की पुष्टि की गई थी कि उपवास रखने से अमाइलॉइड के संचय को रोका जा सकता है.

वैज्ञानिक इस अध्ययन के नतीजों से अल्जाइमर का कोई इलाज विकसित करने में लगे हुए हैं लेकिन यह तो तय है कि भारतीय संस्कृति में उपवास रखे जाने का जो प्रावधान है वह अल्जमार से बचा सकता है. उपवास ऑटोफैगी की दक्षता को बढ़ाने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है. यह वह प्रक्रिया है, जो क्षतिग्रस्त या अनावश्यक सेलुलर घटकों, जैसे ऑनिल और विषाक्त प्रोटीन को तोड़ती है. उपवास अमाइलॉइड़ के निर्माण और मस्तिष्क की कोशिकाओं की मृत्यु के जोखिम को कम कर सकता है.

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Janhvi Sahai

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