गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDU) में ‘मिशन शक्ति 5.0’ के तहत महिला उद्यमिता पर भव्य कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन शिक्षा विभाग द्वारा महायोगी गुरु श्री गोरक्षनाथ शोधपीठ में हुआ। कार्यशाला की संरक्षिका और विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने महिलाओं को समाज की प्रगति की आधारशिला बताते हुए कहा कि यदि उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त किया जाए, तो राष्ट्र की उन्नति सुनिश्चित है। मुख्य अतिथि सृजन क्रिएशन की संस्थापक प्रीति चंदवसिया ने महिला उद्यमिता की दिशा में अपने अनुभव साझा किए और महिलाओं को आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
कुलपति प्रो. पूनम टंडन का उद्बोधन: महिलाएं राष्ट्र की उन्नति का आधार
कार्यशाला की संरक्षिका माननीय कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने अपने उद्बोधन में महिला सशक्तिकरण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट किया कि महिलाएँ किसी भी समाज की प्रगति की मूल आधारशिला होती हैं। उन्होंने बल दिया कि महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर सशक्त बनाना देश की अनिवार्य आवश्यकता है, क्योंकि इसके माध्यम से ही राष्ट्र की उन्नति की दिशा तय होती है। उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर इस तरह के प्रयासों की सराहना की।
मुख्य अतिथि प्रीति चंदवसिया ने साझा किए महिला उद्यमिता के अनुभव
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि, सृजन क्रिएशन की संस्थापक प्रीति चंदवसिया ने महिला उद्यमिता के क्षेत्र में अपने प्रेरणादायक अनुभव साझा किए। उन्होंने उपस्थित महिलाओं और छात्राओं में आत्मविश्वास जगाते हुए कहा कि “हर महिला के भीतर सृजन और नेतृत्व की अद्भुत क्षमता अंतर्निहित है।” उन्होंने उन्हें प्रेरित किया कि यदि महिलाएँ दृढ़ आत्मविश्वास के साथ किसी भी क्षेत्र में कदम बढ़ाएँ, तो वे निश्चित रूप से सफलता प्राप्त कर सकती हैं।
महिला उद्यमिता: आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक परिवर्तन का माध्यम
विभागाध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रो. सुनीता दुबे ने अपने वक्तव्य में महिला उद्यमिता को केवल आर्थिक स्वतंत्रता का साधन मानने से इनकार किया। उन्होंने इसे सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम बताया, जो समाज में महिलाओं की स्थिति को मजबूत करता है। वहीं, नोडल अधिकारी प्रो. (मेजर) विनीता पाठक ने मिशन शक्ति 5.0 के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह अभियान महिलाओं को सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के तीन प्रमुख स्तंभों से जोड़ने का कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम में शिक्षकों और छात्राओं की रही सक्रिय भागीदारी
इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में विश्वविद्यालय के अनेक वरिष्ठ शिक्षक और छात्राएँ उपस्थित रहे। इनमें अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. अनुभूति दुबे, प्रो. उदय सिंह, डॉ कुशल नाथ मिश्रा, डॉ. अमित उपाध्याय, डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी, डॉ. आशीष शुक्ला, डॉ. विस्मिता पालीवाल, डॉ. मुकेश कुमार सिंह, डॉ. अर्जुन सोनकर, डॉ ममता चौधरी, डॉ. सोनल सिंह, डॉ. हर्षवर्धन सिंह, एवं डॉ. मनोज द्विवेदी आदि प्रमुख रूप से शामिल थे। सभी ने मिलकर कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना सक्रिय सहयोग दिया।