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गोरखपुर में योगी ने दिए विकसित भारत के पांच मंत्र, बोले -हमें फिर से विभाजित नहीं होना है

गोरखपुर में योगी ने दिए विकसित भारत के पांच मंत्र, बोले -हमें फिर से विभाजित नहीं होना है

Last Updated on September 21, 2025 1:20 PM by गो गोरखपुर ब्यूरो

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ विश्वविद्यालय में 'विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश-2047' कार्यशाला में पांच प्रण का आह्वान किया। जानें क्या हैं ये प्रण और क्यों योगी ने कहा, 'यह देश विभाजित था, इसलिए गुलाम हुआ।'

गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह देश विभाजित था, इसलिए गुलाम हुआ। हमें फिर से विभाजित नहीं होना है। विकसित भारत की संकल्पना को आगे बढ़ाने के लिए पंच प्रण लेना होगा। ये पांच प्रण हैं- गुलामी की मानसिकता को खत्म करना, हीन भावना को खत्म करना, विरासत का सम्मान करना, सेना के जवानों का सम्मान करना और हर नागरिक को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना। मुख्यमंत्री ने ये बातें रविवार को गोरखनाथ विश्वविद्यालय में ‘विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश-2047’ कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही।

देश को गुलाम होने से बचाने के लिए क्या करें?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने डेढ़ घंटे के संबोधन में कहा कि हमारे पूर्वजों ने देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ समर्पित किया, उनका सपना था कि भारत पूरी दुनिया की ताकत बने। उन्होंने कहा कि पितृ पक्ष के अवसर पर हम सब विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश की संगोष्ठी का हिस्सा बन रहे हैं। प्रधानमंत्री ने 2022 में कहा था कि देश की आजादी का अमृत महोत्सव हम सब मना रहे हैं, लेकिन 2047 में जब देश अपनी आजादी के शताब्दी वर्ष मना रहा होगा, उस समय बहुत लोग तो नहीं होंगे, लेकिन आने वाली पीढ़ी अपने पूर्वजों को याद करेगी। उन्होंने कहा कि भारत को ऐसे ही ‘सोने की चिड़िया’ नहीं कहते थे।

औद्योगिक क्षेत्र में भारत का स्थान

योगी ने कहा कि आज से 300 वर्ष पहले के भारत की तुलना करते हैं तो 17वीं सदी में कृषि और उद्योग के क्षेत्र में भारत दुनिया में नंबर एक पर था। उन्होंने बताया कि उस समय दुनिया की अर्थव्यवस्था के 25 प्रतिशत पर भारत का कब्जा था। यह दुनिया की नंबर एक अर्थव्यवस्था थी। 1800 ईस्वी आते-आते भारत की क्षमता कम होती गई। ब्रिटिश कालखंड में उद्योग बंद होते गए, इनके स्थान पर लोगों ने खेती का रुख किया। 50 प्रतिशत से चलते-चलते 80 प्रतिशत तक खेती पर निर्भर हो गए। इससे देश धीरे-धीरे भुखमरी की कगार पर आ गया, हजारों लोग मरे।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी

मुख्यमंत्री ने कहा कि अकाल के कारण तमाम बीमारियों ने भारत की बड़ी आबादी को निगल लिया था। जिस भारत की हिस्सेदारी वैश्विक अर्थव्यवस्था में 25 प्रतिशत थी, वह 1947 में जब आजाद हुआ तो 3 प्रतिशत रह गई थी। हमारी कोई हैसियत नहीं थी और एक्सपोर्ट न के बराबर था। उन्होंने टेक्सटाइल का उदाहरण देते हुए कहा कि आज देश आजाद हुए 78 साल हो गए, कोई ऐसे कपड़े का ब्रांड नहीं दे रहे जो दुनिया में भारत की अलग पहचान दिला सके।

ओडीओपी से यूपी का विकास

मुख्यमंत्री ने कहा कि जापान और थाईलैंड ने जिस तरह से हर प्रांत को अलग-अलग प्रोडक्ट के लिए विकसित किया, उसी तर्ज पर उन्होंने उत्तर प्रदेश में ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ODOP) योजना पर काम किया। उन्होंने बताया कि कमेटी बनाकर 75 जिलों में यूनिक प्रोडक्ट की पहचान की गई। सिद्धार्थनगर में काला नमक, गोरखपुर में टेराकोटा और मुजफ्फरनगर में गुड़ जैसे उत्पादों को बढ़ावा दिया गया। उन्होंने कहा कि जो देश अपने हस्तशिल्पी का अपमान करे तो वह कभी तरक्की नहीं कर सकता है।

नागरिकों को कर्तव्य निभाना होगा

योगी ने कहा कि देश को फिर से विभाजित नहीं होने देना है। उन्होंने कहा कि नागरिक अधिकारों की चर्चा सब करते हैं, लेकिन हम नागरिक कर्तव्यों की चर्चा कब करेंगे? प्रधानमंत्री ने 2022 में इसका आह्वान किया था। हमने सोचा कि कहीं से तो आवाज आएगी, लेकिन जब नहीं आई तो हमने उत्तर प्रदेश से इसकी शुरुआत की। उन्होंने कहा कि हमें जाति और विभिन्न वादों के विभाजन में नहीं पड़ना है।

विकसित उत्तर प्रदेश पर 24 घंटे सदन चला

योगी ने बताया कि विकसित उत्तर प्रदेश के मुद्दे पर विधानसभा में 24 घंटे चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि आमतौर पर सदन में सदस्यों की संख्या धीरे-धीरे कम हो जाती है, लेकिन जब यह चर्चा शुरू हुई तो रात 11 बजे भी 300 से अधिक सदस्य सदन में मौजूद थे। उन्होंने कहा कि सदन को चर्चा का केंद्र बिंदु बनना चाहिए।

योगी के पांच मंत्र

  • गुलामी की मानसिकता का अंत: पुरानी सोच और हीन भावना को खत्म करना।
  • हीन भावना का त्याग: अपने अंदर की हीन भावना को खत्म करना।
  • विरासत का सम्मान: देश की महान विरासत और संस्कृति का सम्मान करना।
  • सेना का सम्मान: जवानों के प्रति सम्मान का भाव रखना।
  • कर्तव्यों का निर्वहन: हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारियों को भलीभांति निभाना।

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