बतकही-गो गोरखपुर बतकही बात-बेबात

खुद ही को जलाकर, खुद को रोशन किया हमने…

बतकही: किसी परिवार का लड़का पढ़ लिखकर बीए, एमए तक पहुंचा, परिवार में दस बीघे खेती है. वरदेखुआ आ धमकते थे. रिश्ता तय हो जाता था. मध्यस्थता करने वाले रिश्तेदारों के इस कार्य को प्रतिष्ठापरक, पुनीत  माना जाता रहा.

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