पुतवो मीठ, भतरो मीठ…
पुतवो मीठ, भतरो मीठ…
प्रोफेसर अपने प्रवाह में बोल गए. उनके मुंह से भोजपुरी! यह थोड़ी चौंकाने वाली बात लगी.
पुतवो मीठ, भतरो मीठ…
प्रोफेसर अपने प्रवाह में बोल गए. उनके मुंह से भोजपुरी! यह थोड़ी चौंकाने वाली बात लगी.
गो गोरखपुर बतकही | ‘पुनर्नवा’ चौथी सदी के आसपास के भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर आधारित एक ऐतिहासिक उपन्यास है, जिसमें उठाए गए प्रश्न आज भी प्रासंगिक हैं.