बतकही-गो गोरखपुर बतकही बात-बेबात

…क्योंकि प्रेम है भक्ति की पहली सीढ़ी

गो गोरखपुर बतकही | ‘पुनर्नवा’ चौथी सदी के आसपास के भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर आधारित एक ऐतिहासिक उपन्यास है, जिसमें उठाए गए प्रश्न आज भी प्रासंगिक हैं.

बतकही-गो गोरखपुर बतकही बात-बेबात

…जरा तुम दाम तो बोलो यहां ईमान बिकते हैं

दुबे जी एक तरफ सिंह साहब दूसरी तरफ। दुबे जी तर्क कर रहे थे। अच्छे पढ़े-लिखे लड़के अब प्राइवेट सेक्टर में जा रहे हैं। वहां उनके ज्ञान और कौशल का महत्व है। कंपनियां उन्हें अच्छी तनख्वाह दे रही हैं। टैलेंट है इसलिए आगे बढ़ाने में देर नहीं होती। वे अपने तर्क के समर्थन में एक […]

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