गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से लखनऊ तक का सफर कैसा होगा? जानें जीरो पॉइंट से पूरा अनुभव, टाइम, टोल और सुरक्षा जानकारी। क्या यह अयोध्या वाले रास्ते से बेहतर है?
गोरखपुर: आज हम आपको गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से लखनऊ तक के सफ़र की कहानी सुनाते हैं। यह एक्सप्रेसवे अभी औपचारिक तौर पर शुरू नहीं हुआ है, लेकिन हमने यह जानने की कोशिश की कि क्या यह वास्तव में गोरखपुर से लखनऊ तक का सबसे तेज़ और आरामदायक रास्ता साबित होगा। हमने सुबह करीब पौने नौ बजे इस एक्सप्रेसवे पर कालेसर से जगदीशपुर वाले रास्ते से एंट्री ली।

जैसे ही हम एक्सप्रेसवे पर पहुँचे, 0 किलोमीटर के बोर्ड के बाद हमे बैरियर दिखे। इसका मतलब था कि इस रास्ते से फिलहाल आगे नहीं जाया जा सकता। यह वही जगह है जहां से ट्रंपेट इंटरचेंज के माध्यम से प्रवेश लिया जाता है। हमें पता चला कि दोनों तरफ से एंट्री पर ब्लॉकर लगे हुए थे। एक्सप्रेसवे पर एंट्री के लिए हम थोड़ा रॉन्ग साइड गए, फिर अपनी दिशा सही कर ली।
हम सुबह 8 बजकर 59 मिनट पर एक्सप्रेसवे पर थे और हमने लखनऊ की ओर अपना सफ़र शुरू किया।
हम यहां बता दें कि गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे को दो पैकेजों में बनाया गया है। जिस पहले पैकेज पर हम अभी थे, उसका निर्माण एपको इंफ्राटेक ने किया है। दिलीप बिल्डकॉन ने दूसरे पैकेज (45 किमी से 90 किमी तक) पर काम किया है, जो पिछले साल ही पूरा हो चुका था। इस एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 91.2 किलोमीटर है।
यह अयोध्या वाले रास्ते (लगभग 270-272 किमी) की तुलना में किलोमीटर के हिसाब से थोड़ा लंबा (300-310 किमी) ज़रूर है, लेकिन यह आपका समय काफी बचाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि यह एक्सेस कंट्रोल है, यानी सिर्फ़ कुछ निश्चित एंट्री और एग्जिट पॉइंट से ही गाड़ियां इस एक्सप्रेसवे पर प्रवेश कर सकती हैं। इससे अचानक सामने से किसी वाहन के आने का खतरा नहीं रहता, जैसा कि अयोध्या वाले पुराने रास्ते पर होता है।
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हमने इस एक्सप्रेसवे पर 120 किमी/घंटा की गति से गाड़ी चलाई और कोई भी झटका महसूस नहीं हुआ। और वैसे भी एक्सप्रेसवे का सफर बेहद आरामदायक होता है, जिससे ड्राइवर की थकान कम होती है और गाड़ियों का एवरेज भी बढ़ जाता है।
जीरो पॉइंट से 5 किलोमीटर चलने के बाद ही एक टोल प्लाजा मिलता है। इस एक्सप्रेसवे पर कुछ निश्चित एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स बनाए गए हैं, ताकि आसपास के इलाकों के लोग भी इसका लाभ उठा सकें।
पहला इंटरचेंज: खजनी और सिकरीगंज के लिए, जीरो पॉइंट से ठीक 12 किमी पर।
दूसरा इंटरचेंज: बेलघाट के लिए, यह भी एक डायमंड कट इंटरचेंज है (37.2 किमी पर)। फिलहाल यह ब्लॉक किया गया है, इसलिए बेलघाट से एंट्री/एग्जिट संभव नहीं है।
चौथा इंटरचेंज: सुल्तानपुर के लिए, 54 किमी पर।
पांचवां इंटरचेंज: आजमगढ़ के लिए, 62 किमी पर।
छठा इंटरचेंज: अजमलपुर के लिए, 74 किमी पर।
करीब 82 किमी पर आखिरी टोल गेट है, जहाँ से आप टोल चुकाकर एक्सप्रेसवे से एग्जिट ले सकते हैं।
कम्हरिया घाट के पास एक ब्रिज का काम अभी भी चल रहा है, जहां मशीनों को देखा जा सकता है। नदी के बहाव के कारण ब्रिज के पिलर की कटान रोकने के लिए अतिरिक्त काम किया जा रहा है। यहां इंजीनियरिंग की एक चूक थी। डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) बनाते समय इस पहलू पर किसी का ध्यान नहीं गया। यही वजह है कि इस परियोजना में थोड़ी देरी हुई।
यह एक्सप्रेसवे फोर लेन है, लेकिन कुछ जगहों पर सिक्स लेन में बनाई गई हैं। इसका मतलब है कि भविष्य में अगर इसे सिक्स लेन तक बढ़ाना पड़े, तो सिर्फ मिट्टी का काम करके एक-एक लेन दोनों तरफ जोड़ी जा सकती है, जिससे संरचना में कोई बदलाव नहीं करना पड़ेगा।
एक्सप्रेसवे पर रेस्ट एंड सर्विस एरिया भी बनाए गए हैं (24 किमी पर), लेकिन अभी वे ऑपरेशनल नहीं हैं। इसलिए, अगर आप इस पर यात्रा कर रहे हैं तो अपना फ्यूल, पानी और खाने-पीने का सामान साथ लेकर चलें।
हम लोगों ने सुबह 9 बजकर 51 मिनट पर, 91.2 किलोमीटर का गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का सफ़र पूरा किया। इस दूरी को तय करने में हमें केवल 51 मिनट लगे। हमारी एवरेज स्पीड 100-105 किमी/घंटा रही। निश्चित रूप से यह एक शानदार ड्राइविंग अनुभव था।
इसके बाद हम पहुंचे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर। यह सिक्स लेन का एक्सप्रेसवे है, जिस पर ड्राइविंग अनुभव और भी बेहतर मिला। गौरतलब है कि यूपीडा ने हाल ही में अपने सभी एक्सप्रेसवे (पूर्वांचल, यमुना, आगरा-लखनऊ) पर गति सीमा 100 किमी/घंटा से बढ़ाकर 120 किमी/घंटा कर दी है।
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर लखनऊ तक का सफर लगभग 189 किमी है। लखनऊ से शुरू होकर 189 किमी पर आपको गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे मिल जाता है।

हम सुबह 9:00 बजे गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पर पहुंचे थे। दोपहर 11:40 बजे हम पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से लखनऊ के जीरो पॉइंट पर एग्जिट ले रहे थे। इस दौरान हमने 10 मिनट का एक ब्रेक भी लिया था। यानी कुल 2 घंटे 30 मिनट का समय लगा एक्सप्रेसवे पर।
अगर इसमें दोनों शहरों (गोरखपुर और लखनऊ) के आसपास से एक्सप्रेसवे तक पहुंचने और एग्जिट करने के लिए 15-15 मिनट का समय जोड़ दें, तो कुल 3 घंटे में गोरखपुर से लखनऊ पहुंचा जा सकता है।
अयोध्या वाले पुराने रास्ते से आमतौर पर 4.5 से 5 घंटे लगते थे, और जाम की स्थिति में यह 6-6.5 घंटे तक भी जा सकता था।
इस यात्रा में हमने पाया कि यह गोरखपुर से लखनऊ जाने का सबसे बेहतरीन रास्ता है। अगर आप समय बचाना चाहते हैं और बिना किसी बाधा के आरामदायक सफ़र चाहते हैं, तो यह एक्सप्रेसवे निश्चित रूप से आपकी पहली पसंद होना चाहिए।
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