Gorakhpur: गोरखपुर महायोजना 2031 (gorakhapur mahayojana 2031) में गोरखपुर विकास प्राधिकरण के विस्तारित क्षेत्र में कृषि भूमि में हो रहे आवासीय और व्यावसायिक निर्माण को लेकर शासन ने कड़ा रुख अपना लिया है. शासन ने तहसील से कृषि भूमि के भू-उपयोग बदलने के आवेदनों पर प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना अनिवार्य कर दिया है. यानी जब तक इन क्षेत्रों का मास्टर प्लान नहीं तैयार हो जाता, प्राधिकरण की ओर से ऐसे मामलों में अब एनओसी पाना मुश्किल माना जा रहा है.
गोरखपुर महायोजना 2031 के तहत, शहर के विकास के लिए विस्तृत योजना बनाई जा रही है. इस योजना के एक हिस्से के रूप में, तीन नगर पंचायतों और कई ग्राम पंचायतों के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है. इस मास्टर प्लान में यह तय किया जाएगा कि किस क्षेत्र में किस तरह का विकास किया जाएगा, जैसे कि कृषि, आवासीय, व्यावसायिक या औद्योगिक. इसके साथ ही, सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है कि कृषि भूमि का सही उपयोग हो. उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 के अनुसार, अब कृषि भूमि को किसी अन्य उपयोग के लिए बदलने से पहले, संबंधित विकास प्राधिकरण से अनुमति लेना अनिवार्य होगा. यह सुनिश्चित करेगा कि कृषि भूमि पर अवैध निर्माण न हो और शहर का विकास योजनाबद्ध तरीके से हो.
शासन की तरफ से इस संबंध में साल 2022 में भी आदेश जारी किया गया था, लेकिन उसका सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा जिससे कृषि भूमि पर आवासीय और व्यावसायिक अवैध निर्माण लगातार बढ़ रहे हैं. इस पर चिंता जाहिर करते हुए पिछले हफ्ते प्रमुख सचिव आवास पी. गुरुप्रसाद ने सभी मंडलायुक्त और जिलाधिकारी को पत्र जारी कर इसका सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए हैं. अब जिला प्रशासन और जीडीए की ओर से इस आदेश पर मुस्तैदी से अमल किया जाएगा.
नये शामिल इलाकों के लिए मास्टर प्लान बनाने का काम जारी: गोरखपुर शहर में में साल 2019-20 में प्राधिकरण क्षेत्र के सीमा विस्तार में चौरीचौरा, कैंपियरगंज, सहजनवां और वाराणसी रोड के 233 राजस्व गांव और 03 नगर पंचायतें पीपीगंज, मुंडेरा बाजार और पिपराइच शामिल हुई थीं. इन क्षेत्रों का मास्टर प्लान नहीं तैयार हो पाने की वजह से मार्च में लागू हुई प्राधिकरण की नई महायोजना-2031 में विस्तारित क्षेत्र का भू-उपयोग नहीं निर्धारित किया जा सका. हालांकि पहले से प्राधिकरण सीमा में शामिल क्षेत्रों का मास्टर प्लान 2017 में ही बन गया था, जिन्हें महायोजना 2031 में भाग क और नए विस्तारित क्षेत्र को भाग ख के रूप में रखा गया. भाग ख में रखे गए क्षेत्रों का मास्टर प्लान के अभाव में भू उपयोग निर्धारित नहीं है. इस कारण मानचित्र भी पास नहीं हो रहे हैं. हालांकि इनके लिए मास्टर प्लान बनाने का काम जारी है.
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