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नाथ पंथ विश्वकोश: डीडीयू में राष्ट्रीय कार्यशाला 16-17 को, कुलपति ने विमोचित की विवरणिका

नाथ पंथ विश्वकोश: डीडीयू में राष्ट्रीय कार्यशाला 16-17 को, कुलपति ने विमोचित की विवरणिका

गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित महायोगी गुरु श्रीगोरखनाथ शोधपीठ द्वारा दिनांक 16 एवं 17 अक्टूबर 2025 को कुलपति प्रो. पूनम टंडन के संरक्षण में एक द्विदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यशाला का मुख्य विषय “नाथ पंथ विश्वकोश निर्माण” है। कार्यशाला के सफल आयोजन की दिशा में कुलपति प्रो. पूनम टंडन तथा शोधपीठ के उप निदेशक डॉ. कुशल नाथ मिश्र के द्वारा विवरणिका (ब्रोशर) का विमोचन किया गया। विवरणिका विमोचन के अवसर पर कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने इसे नाथ पंथ विश्वकोश के निर्माण की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम बताया।

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कार्यशाला के मुख्य अतिथि और अध्यक्षता

इस राष्ट्रीय कार्यशाला में हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नन्द किशोर पाण्डेय मुख्य अतिथि होंगे। कार्यशाला की अध्यक्षता प्रो० सदानन्दप्रसाद गुप्त करेंगे, जो उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हैं। शोधपीठ के उप निदेशक डॉ. कुशल नाथ मिश्र इस कार्यशाला के संयोजक हैं, जबकि डॉ. सोनल सिंह सह संयोजक की भूमिका निभा रही हैं। कार्यशाला में देश के प्रतिष्ठित विद्वानों को आमंत्रित किया गया है, जो इस महत्वपूर्ण परियोजना में अपना योगदान देंगे।

विश्वकोश निर्माण के विविध आयामों पर चर्चा

दो दिवसीय कार्यशाला में नाथ पंथ विश्वकोश के निर्माण से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा। चर्चा के प्रमुख विषयों में नाथ पंथ की परंपराएँ, तकनीकी शब्दावली, उसकी पृष्ठभूमि, दार्शनिक एवं यौगिक पक्ष, उसके साहित्य एवं योगदान, इतिहास, मूल ग्रंथ, दार्शनिक सिद्धांत, नाथपंथ के मठ/मन्दिर/पीठ/तीर्थस्थल, उपासना पद्धति, वेशभूषा, विविधता, उपादेयता और महत्व इत्यादि शामिल हैं। इसका उद्देश्य नाथ पंथ के व्यापक और बहुआयामी स्वरूप को एक विश्वकोश के माध्यम से प्रस्तुत करना है।

शोधपीठ का उद्देश्य और विद्वानों का समागम

शोधपीठ के उपनिदेशक डॉ. कुशल नाथ मिश्र ने कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इसका लक्ष्य वर्तमान परिप्रेक्ष्य में नाथ पंथ की विश्वकोश निर्माण के विविध पक्षों पर गहनता से विमर्श करना है। इसके साथ ही नाथ पंथ के दार्शनिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आयामों की खोज करना भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में देश भर के प्रतिष्ठित विद्वान एवं अध्येता अपने विचार साझा करेंगे, जिससे विश्वकोश पर लेखन की गहरी और समग्र समझ विकसित हो सकेगी। इस अवसर पर शोधपीठ के सहायक निदेशक डॉ. सोनल सिंह, सहायक ग्रंथालयी डॉ. मनोज कुमार द्विवेदी, रिसर्च एसोसिएट डॉ. सुनील कुमार तथा शोध अध्येता डॉ. हर्षवर्धन सिंह भी उपस्थित रहे।


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गो गोरखपुर ब्यूरो

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