रेलवे सुरक्षा बल मानव तस्करी के खिलाफ एक मजबूत ढाल बनकर उभरा
Gorakhpur: रेलवे सुरक्षा बल मानव तस्करी के खिलाफ एक मजबूत ढाल बनकर उभरा है. ‘ऑपरेशन आहट’ और ‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’ जैसे अभियानों के ज़रिए, रेलवे सुरक्षा बल ने सैकड़ों महिलाओं और बच्चों को तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया है और उनकी ज़िंदगी में खुशियां लौटाई हैं.
रेलवे का विशाल नेटवर्क देश भर में फैला हुआ है, जिससे यह मानव तस्करों के लिए एक आसान रास्ता बन जाता है. ऐसे में, रेलवे सुरक्षा बल की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है. बल न सिर्फ तस्करों को पकड़ता है, बल्कि पीड़ितों को उनके चंगुल से छुड़ाकर उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाता है.
मानव तस्कर अक्सर महिलाओं और बच्चों को नौकरी, पैसों और बेहतर जीवन का लालच देकर यौन शोषण, जबरन मज़दूरी, भीख मंगवाने और यहां तक कि अंग प्रत्यारोपण जैसे घिनौने कामों के लिए इस्तेमाल करते हैं.
‘ऑपरेशन आहट’ के तहत, रेलवे सुरक्षा बल ने 2022 से 2024 तक 2614 लोगों को तस्करों से मुक्त कराया है, जिनमें ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं. इस दौरान 753 मानव तस्करों को गिरफ्तार भी किया गया है. वहीं, ‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’ के ज़रिए, पिछले तीन सालों में 30447 बच्चों को देखभाल और सुरक्षा प्रदान की गई है.
एनईआर के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने एक विज्ञप्ति में जानकारी दी कि पूर्वोत्तर रेलवे में भी रेलवे सुरक्षा बल ने मानव तस्करी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है. 2024 में, 43 बच्चों को बचाया गया और 7 तस्करों को गिरफ्तार किया गया. इसके अलावा, मानव तस्करी रोकने के लिए 38 विशेष टीमों का गठन किया गया है.
रेलवे सुरक्षा बल जन जागरूकता अभियान भी चलाता है ताकि लोग मानव तस्करी के संकेतों को पहचान सकें और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत अधिकारियों को दे सकें. तस्करों की पहचान के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. गृह मंत्रालय ने रेलवे सुरक्षा बल को 1256 लाख रुपये की निधि दी है, जिससे वाहन, तकनीकी उपकरण, कंप्यूटर, मोबाइल फोन और कैमरे खरीदे गए हैं.
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