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Gorakhpur News: 15वीं, 17वीं सदी की ये दो इमारतें बनेंगी संरक्षित स्मारक

गोरखपुर स्थित रीड साहब धर्मशाला की इमारत

राज्यपाल की स्वीकृति के बाद पहली अधिसूचना हुई जारी, आपत्तियां मांगीं

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Gorakhpur News: 15वीं, 17वीं सदी की ये दो इमारतें बनेंगी संरक्षित स्मारक
Gorakhpur News: 15वीं, 17वीं सदी की ये दो इमारतें बनेंगी संरक्षित स्मारक

Gorakhpur: रीड साहब धर्मशाला और बसंत सराय, गोरखपुर की दो ऐतिहासिक इमारतों को अब संरक्षित स्मारक घोषित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति अनुभाग ने राज्यपाल की स्वीकृति के बाद इसकी पहली अधिसूचना जारी कर दी है। इस अधिसूचना के बाद दोनों ही स्थलों पर नोटिस लगाए गए हैं, जिनमें 30 दिनों के भीतर लोगों से आपत्तियां मांगी गई हैं। प्राप्त आपत्तियों पर विचार करने के बाद अंतिम अधिसूचना जारी की जाएगी।

गोरखपुर स्थित रीड साहब धर्मशाला की इमारत
गोरखपुर स्थित रीड साहब धर्मशाला की इमारत. Image: Social Media

सबसे पहले बात करते हैं रीड साहब धर्मशाला की। यह इमारत मुगलकालीन वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। इसका निर्माण लगभग 1680 ईस्वी में गोरखपुर के चकलेदार काजी खलीलुर्रहमान ने अपने सिपहसालारों के रहने के लिए एक दुर्ग के रूप में कराया था। समय के साथ इसकी स्थिति जर्जर होती गई। फिर 1839 में, गोरखपुर के तत्कालीन कलेक्टर ईए रीड साहब ने स्थानीय रईसों और व्यापारियों से चंदा इकट्ठा करके इस दुर्ग को धर्मशाला में बदल दिया। उन्हीं के नाम पर इसका नाम रीड साहब धर्मशाला पड़ा। रीड साहब धर्मशाला में वर्तमान में 61 परिवार रहते हैं।

अब बात करते हैं बसंत सराय की। इसका निर्माण 1456 ईस्वी में सतासीराज के राजा बसंत सिंह ने कराया था। बाद में, मुगल शासन के दौरान इसे भी किले के रूप में इस्तेमाल किया गया। काजी खलीलुर्रहमान ने सतासी के राजा को बेदखल करने के बाद इस किले में मुगल चौकी बनाई और कुछ हिस्सों को कैदियों के लिए इस्तेमाल किया। वर्तमान में बसंत सराय में 57 परिवार रह रहे हैं।

चुनौतियां और आगे की राह: संरक्षित स्मारक घोषित होने के बाद सबसे बड़ी चुनौती यहां रह रहे परिवारों के पुनर्वास की होगी। स्थानीय पार्षद और निवासी शासन, प्रशासन से उनके उचित पुनर्वास की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही, इन इमारतों के ऐतिहासिक स्वरूप को बरकरार रखते हुए उनका जीर्णोद्धार भी एक महत्वपूर्ण कार्य होगा। पुरातत्व विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि संरक्षण के दौरान इनका ऐतिहासिक और वास्तुकलात्मक महत्व बना रहे।

Siddhartha Srivastava

Siddhartha Srivastava

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आज, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, हिंदुस्तान, दैनिक जागरण जैसे हिंदी अखबारों में 18 साल तक सांस्थानिक पत्रकारिता का अनुभव. l10n और i18n इंडस्ट्री में करीब 2 साल पूर्णकालिक तौर पर जुड़े रहे. वर्तमान में Go Gorakhpur के लिए स्वतंत्र लेखन और अनुवाद कार्यों में संलग्न. email:- siddhartha@gogorakhpur.com

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