गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी घोषणा के अनुरूप, गोरखपुर में पांचवें विश्वविद्यालय के रूप में एक विशिष्ट फॉरेस्ट्री एंड हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी (वानिकी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय) की स्थापना की दिशा में तीव्र गति से प्रगति हो रही है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए आवश्यक 50 हेक्टेयर भूमि की पहचान कर ली गई है और अब इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का कार्य प्रगति पर है। इसके साथ ही, इस नए विश्वविद्यालय के संचालन के लिए प्रस्तावित अधिनियम भी शासन को स्वीकृति हेतु भेज दिया गया है। योगी सरकार ने इस वानिकी विश्वविद्यालय के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में पहले ही 50 करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण वित्तीय प्रावधान कर दिया है, जिसकी घोषणा फरवरी माह में की गई थी।
यह प्रस्तावित वानिकी विश्वविद्यालय न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे उत्तर भारत क्षेत्र में अपनी तरह का एकमात्र संस्थान होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 6 सितंबर, 2024 को कैम्पियरगंज में विश्व के पहले राजगिद्ध जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र के लोकार्पण समारोह के दौरान गोरखपुर वन प्रभाग में इस विशिष्ट वानिकी विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा की थी। राष्ट्रीय स्तर पर यह देश का दूसरा और वैश्विक स्तर पर चौथा वानिकी विश्वविद्यालय होगा। भारत का पहला वानिकी विश्वविद्यालय तेलंगाना में स्थित है, जहाँ पहले से मौजूद एक वानिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान संस्थान को उन्नत करके विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है। उल्लेखनीय है कि देहरादून में 1906 में स्थापित फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट एक डीम्ड विश्वविद्यालय के रूप में कार्यरत है।
गोरखपुर में फॉरेस्ट्री यूनिवर्सिटी स्थापित करने की मुख्यमंत्री की घोषणा के तुरंत बाद, स्थानीय प्रशासन और वन विभाग सक्रिय रूप से उपयुक्त भूमि की तलाश में जुट गए थे। इस खोज के परिणामस्वरूप, कैम्पियरगंज रेंज के भारी वैसी ब्लॉक में 50 हेक्टेयर भूमि को विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए आदर्श पाया गया। चूंकि यह चिन्हित भूमि आरक्षित वन क्षेत्र के अंतर्गत आती है, इसलिए वानिकी विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 2023 के तहत भारत सरकार से आवश्यक अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य है। इस विधायी आवश्यकता को पूरा करने के लिए, 50 हेक्टेयर गैर-वन भूमि उपलब्ध कराकर उस पर प्रतिपूरक वनारोपण किया जाएगा।
इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया के संबंध में, जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने जानकारी दी कि फॉरेस्ट्री यूनिवर्सिटी के लिए उपयोग की जाने वाली 50 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि के गैर-वानिकी उपयोग हेतु वन भूमि हस्तांतरण के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के परिवेश पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन जमा कर दिया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया इसी माह के भीतर पूरी हो जाएगी। जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय की डीपीआर भी शीघ्र ही अनुमोदित होने की संभावना है और प्रशासन अगले तीन से चार महीनों में निर्माण कार्य प्रारंभ कराने की तैयारी कर रहा है।
प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) विकास यादव ने इस परियोजना की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वानिकी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदेश शासन के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन अनुभाग-1 से प्राप्त हो चुकी है। इसके अतिरिक्त, प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा ‘उत्तर प्रदेश वानिकी विश्वविद्यालय’ की स्थापना हेतु तैयार किया गया विस्तृत अधिनियम भी शासन को आगे की कार्रवाई के लिए प्रेषित कर दिया गया है।
इस नवस्थापित विश्वविद्यालय की शैक्षणिक योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि यहाँ वानिकी के मुख्य विषयों के साथ-साथ कृषि वानिकी, सामाजिक वानिकी और औद्यानिकी में भी डिग्री और डिप्लोमा स्तर के पाठ्यक्रम संचालित करने की योजना है। इस व्यापक दृष्टिकोण का उद्देश्य बड़ी संख्या में युवाओं के लिए नौकरी और रोजगार के व्यापक अवसर सृजित करना है।
विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए वित्तीय आकलन भी किया जा चुका है। वन विभाग की ओर से लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने 621 करोड़ 26 लाख 90 हजार रुपये की एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है। इस कार्ययोजना को फरवरी माह में प्रमुख सचिव वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को भेजा गया है। प्रस्तावित 50 हेक्टेयर भूमि में से 6 हेक्टेयर क्षेत्र मुख्य प्रशासनिक भवन और छात्रावासों के निर्माण के लिए आरक्षित किया गया है, जबकि शेष 44 हेक्टेयर क्षेत्र खुले स्थान के रूप में विकसित किया जाएगा।
यह उल्लेखनीय है कि वानिकी विश्वविद्यालय से पहले ही गोरखपुर में चार अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं। इनमें दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय और महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय शामिल हैं। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा स्थापित निजी क्षेत्र का पहला विश्वविद्यालय है, जबकि महायोगी गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय योगी सरकार द्वारा स्थापित राज्य का पहला आयुष विश्वविद्यालय है। इस नए वानिकी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय की स्थापना से गोरखपुर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में और मजबूत होगा।
प्रमुख बिंदु:
✔ 50 हेक्टेयर जमीन चिन्हित, डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार की जा रही है।
✔ 621 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत, 50 करोड़ का बजट प्रावधान पहले ही किया गया है।
✔ 2025-26 तक निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद।
✔ वानिकी, कृषि वानिकी, सामाजिक वानिकी और हॉर्टिकल्चर में डिग्री/डिप्लोमा कोर्स होंगे।
विश्वविद्यालय की विशेषताएं:
1. उत्तर भारत में पहला और देश में दूसरा
- इससे पहले, तेलंगाना में देश का पहला और दुनिया का तीसरा वानिकी विश्वविद्यालय स्थापित किया गया था।
- देहरादून में फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (1906) एक डीम्ड यूनिवर्सिटी के रूप में कार्यरत है।
2. जमीन का चयन और वन विभाग की मंजूरी
- कैम्पियरगंज रेंज के भारी वैसी ब्लॉक में 50 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि चिन्हित की गई है।
- वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम 2023 के तहत केंद्र सरकार से अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया चल रही है।
- जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश के अनुसार, इसी माह लैंड ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है।
3. शैक्षणिक संरचना
- वानिकी (Forestry)
- कृषि वानिकी (Agroforestry)
- सामाजिक वानिकी (Social Forestry)
- औद्यानिकी (Horticulture)
- डिग्री और डिप्लोमा कोर्स संचालित किए जाएंगे, जिससे युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
4. बजट और निर्माण योजना
- 621 करोड़ 26 लाख 90 हजार रुपये की कार्ययोजना तैयार की गई है।
- 6 हेक्टेयर में मुख्य भवन और हॉस्टल बनेंगे, जबकि 44 हेक्टेयर खुला क्षेत्र रहेगा।
गोरखपुर में पहले से मौजूद विश्वविद्यालय:
- दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय
- मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय
- महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय (निजी)
- महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय (यूपी का पहला आयुष विश्वविद्यालय)
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