Go Gorakhpur: आज अष्टमी है, कल नवमी. बुधवार को दशहरा होगा. मेला लगेगा. रामलीला होगी. रावण मारा जाएगा लेकिन महंगाई का रावण जिंदा रहेगा. इधर बाजारों में भीड़ है लेकिन नागरिकों की क्रय शक्ति क्षीण है. छोटे दुकानदार सामानों की बिक्री में 50 प्रतिशत की गिरावट बता रहे हैं.
महानगर की बाजारों में छाया, पादरी, रुस्तमपुर, आजाद नगर पांडे हाता, घोस कंपनी पर भक्तों और खरीदारों की भीड़ आसानी से देखी जा सकती है. फुटकर पूजा सामग्री की बिक्री करने वाले छोटे लाल गुप्त का कहना है कि ग्राहक की जेब में इस बार पैसे कम है. वह पूजन सामग्री भी किफायतसारी से खरीद रहे हैं. 1 किलो का ग्राहक आधा किलो आधा किलो का ग्राहक ढाई सौ ग्राम और ढाई सौ ग्राम का ग्राहक बमुश्किल 100 ग्राम पूजन सामग्री खरीद रहा. वे बताते हैं कि कुछ-कुछ पूजन सामग्री में गत वर्ष की तुलना में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी मान कर चलिए. चुनरी, सिंदूर, बिंदी, अगरबत्ती, कपूर और हवन सामग्री और इसी तरह दूसरी पूजा की वस्तुएं महंगी हुई हैं. इसका असर हमारी बिक्री और ग्राहकों की खरीद की क्षमता पर पड़ा है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि सूखी आम की लकड़ी उन्हें कारोबारियों से मिलती है. वह तो फुटकर व्यापारी हैं. समझा जा सकता है कि वे आम की लकड़ी आम के पेड़ काटकर ही तैयार करते होंगे. वे ही बाजार में हम जैसे फुटकर दुकानदारों को ग्राहकों की बिक्री के लिए उपलब्ध कराते हैं.
लकड़ी इतनी महंगी है कि दुकानदार इलेक्ट्रॉनिक कांटे से तौल कर रहे हैं |
बताते चलें कि मंगलवार को मुहूर्त के मुताबिक 4:15 बजे तक नवमी तिथि होगी. 9 दिन व्रत रहने वाले श्रद्धालु कन्या पूजन करेंगे. इसी के साथ हवन का कार्य भी उन्हें संपन्न करना होगा. श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या अष्टमी का व्रत रहने वालों की भी होती है. हवन करने वालों की कतार में यह भी होंगे. जिन पूजन सामग्री की आवश्यकता होगी उनमें आम की लकड़ी और हवन सामग्री प्रमुख है. जानकारों के मुताबिक आम की लकड़ी और हवन सामग्री में इस्तेमाल किए जाने वाले चंदन के टुकड़े, दोनों ऐसे वृक्षों से हासिल किए जाते हैं जिनकी कटान सामान्य तौर पर प्रतिबंधित है.
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क्या है कटान के नियम: 25 व 31 अक्टूबर 2017 को अधिसूचना जारी कर सरकार ने 62 जिलों में आम, नीम, साल, खैर और महुआ और 13 जिलों में सागौन को छोड़ कर निजी जमीन पर लगे बाकी वृक्षों को अनुमति के दायरे से बाहर कर दिया था. इन छह प्रजातियों के वृक्षों को काटने के लिए वन विभाग से अनुमति जरूरी थी. इसकी अनुमति तभी दी जा सकती थी जब ये वृक्ष सूख गए हों, किसी व्यक्ति या संपत्ति के लिए खतरा पैदा हो गया हो या विकास योजनाओं के लिए काटना जरूरी हो. लेकिन कुछ पर्यावरण प्रेमी इसके खिलाफ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने रोक लगा दी थी.
अब हुआ नियम में बदलाव: 10 दिसंबर को कैबिनेट में यूपी वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के प्रावधानों में बदलाव करते हुए प्रतिबंधित श्रेणी के वृक्षों की संख्या बढ़ा कर 29 कर दी. प्रत्येक वृक्ष के काटने पर 2 पौधे लगाने और उनके संरक्षण का प्रस्ताव था, लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने पौधरोपण की संख्या बढ़ाकर प्रति वृक्ष 10 कर दी. अगर काटने वाले के पास इतने पौधे लगाने के लिए जमीन नहीं है तो वह वन विभाग को इसके लिए धनराशि जमा करेगा. वन विभाग इस रकम से पौधे लगाकर उनका संरक्षण करेगा.