पूर्वांचल के 11 जिलों में खेतों में लहलहा रहा 'काला सोना'

GO GORAKHPUR: पड़ोसी के घर तक पहुंचने वाली ख़ुशबू, बेजोड़ स्वाद एवं पौष्टिकता के लिहाज से कालानमक चावल को दुनिया का श्रेष्ठतम चावल माना जाता है. बुद्ध के प्रसाद के रूप में विख्यात कालानमक चावल अपने पोषक तत्वों के चलते उपभोक्ताओं की पहली पसंद बनेगा. इस चावल में अन्य प्रजाति के चावल की तुलना में तीन गुना अधिक आयरन, चार गुना अधिक जिंक के साथ ही प्रचुर मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है. कम ग्लूकोज के कारण इसे मधुमेह के रोगी भी भरपेट खा सकते हैं.

इस साल कालानमक धान के बंपर पैदावार की उम्मीद
कालानमक की खेती के संरक्षण और संवर्धन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गई ओडीओपी योजना बहुत ही सार्थक साबित हुई है. करीब तीन हजार साल पुराने बुद्धकालीन कालानमक चावल को इसके मूल स्थल सिद्धार्थनगर की ओडीओपी में शामिल कर इसकी खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया गया. कालानमक महोत्सव ने इसकी जबरदस्त ब्रांडिंग की. कालानमक चावल के मुख्य जिले सिद्धार्थनगर में कालानमक के लिए कामन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) की स्थापना की गई. सरकार से मिले प्रोत्साहन के चलते बुवाई का रकबा बढ़ने के साथ अंतिम समय में भरपूर पानी की उपलब्धता से इस साल कालानमक धान के बंपर पैदावार की उम्मीद है. खेतों में अच्छी फसल को देखकर कृषि वैज्ञानिक अनुमान लगा रहे हैं कि कालानमक का उत्पादन दोगुना तक हो सकता है.

कालानमक धान का क्षेत्रफल 70 हजार हेक्टेयर में पहुंचा
भौगोलिक सूचकांक वाले गोरखपुर, बस्ती और देवीपाटन मंडलों के 11 जिलों में कालानमक धान का क्षेत्रफल 70 हजार हेक्टेयर में पहुंच चुका है. जबकि पांच साल पहले यह तेज गिरावट के साथ करीब 10 हजार हेक्टेयर तक रह गया था. कालानमक के क्षेत्रफल में इस वृद्धि का श्रेय योगी सरकार को जाता है. एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल किए जाने के बाद इसकी ब्रांडिंग के कारण किसानों का रुझान कालानमक की खेती की तरफ तेजी से बढ़ा. इस साल सिद्धार्थनगर जिले में 12 हजार हेक्टेयर, गोरखपुर में 10 हजार, बस्ती में 9 हजार, कुशीनगर में 8 हजार, महराजगंज में 8 हजार, देवरिया में 7 हजार, संतकबीरनगर में 6 हजार, बहराइच में 4 हजार, गोंडा में 4 हजार, बलरामपुर में 3 हजार तथा श्रावस्ती में 2 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में कालानमक धान की खेती हुई है. इन जिलों के अलावा अयोध्या और वाराबंकी के किसानों ने भी कालानमक धान की खेती के प्रति उत्साह दिखाया है.

किसानों की आमदनी तिगुनी होने की उम्मीद
कृषि और खासतौर पर कालानमक धान के क्षेत्र में शोध-अनुसंधान करने वाली संस्था पार्टिसिपेटरी रूरल डेवलपमेंट फाउंडेशन (पीआरडीएफ) की टीम ने सर्वे के बाद यह अनुमान लगाया है कि इस साल कालानमक की अब तक की रिकार्ड पैदावार होगी. टीम ने यह अनुमान फसल की बालियों की औसतन 30 सेमी लंबाई देखकर लगाया है. कालानमक की चार प्रजातियों केएन 3, बौना कालानमक 101, बौना कालानमक 102 तथा कालानमक किरण किसानों के खेतों में लहलहा रही हैं. कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस साल कालानमक की खेती करने वाले किसानों की आमदनी गत वर्षों की तुलना में तिगुनी तक हो सकती है.

If you have any news or information happening around you that you would like to share, we encourage you to reach out to us at 7834836688/contact@gogorakhpur.com. Your input is valuable to us, and we appreciate your efforts in keeping us informed about the latest events and occurrences.

By गो गोरखपुर

गोरखपुर और आसपास की खबरों (gorakhpur news) के लिए पढ़ते रहें गो गोरखपुर न्यूज़ पोर्टल. सूचनाओं की भीड़ में आपके काम लायक हर जरूरी जानकारी पर रखें नज़र...गो गोरखपुर (www.gogorakhpur.com) के साथ.

दिल छू लेगा पूर्वांचल लिंक एक्सप्रेस-वे पर सफ़र