Gorakhpur: भोजपुरी साहित्य और रेडियो जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति हुई है. प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि, और आकाशवाणी के लोकप्रिय उद्घोषक रवीन्द्र श्रीवास्तव, जिन्हें जुगानी भाई के नाम से जाना जाता था, 79 वर्ष की अवस्था में इस दुनिया को अलविदा कह गए. 14 फरवरी को उन्होंने अंतिम सांस ली, जिससे उनके चाहने वालों और साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई.
एक साधारण शुरुआत, असाधारण पहचान
28 मई 1945 को जन्मे रवीन्द्र श्रीवास्तव ने अपनी प्रतिभा और मेहनत से भोजपुरी साहित्य और रेडियो की दुनिया में एक खास मुकाम हासिल किया. उम्र के आखिरी पड़ाव तक वे साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रहे, जो उनकी साहित्य के प्रति अटूट निष्ठा को दर्शाता है.
आकाशवाणी: जन-जन की आवाज
जुगानी भाई का आकाशवाणी से एक लंबा और गहरा नाता रहा. 28 दिसम्बर 1973 से 2022 तक उन्होंने आकाशवाणी में अपनी सेवाएं दीं. गोरखपुर आकाशवाणी में उनके द्वारा प्रस्तुत ‘पंचो जय जवान-जय किसान’ कार्यक्रम ने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बना दिया. उनकी आवाज, उनकी शैली, और उनकी कविताओं ने लोगों के दिलों को छू लिया. भोजपुरी कविताओं को उनकी खास अंदाज में पढ़ने की कला ने उन्हें एक अलग पहचान दी, जिसने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई.

भोजपुरी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर
जुगानी भाई केवल एक उद्घोषक ही नहीं, बल्कि एक सशक्त साहित्यकार भी थे. ‘मोथा अउर माटी’, ‘गीत गांव गांव’, ‘नोकियात दूबि’, ‘अखबारी कविता’, ‘फुंसियात सहर’ जैसी उनकी लोकप्रिय भोजपुरी काव्य रचनाएं उनकी लेखनी की उत्कृष्टता का प्रमाण हैं. उनकी रचनाओं में भोजपुरी संस्कृति, लोक जीवन, और आम आदमी की भावनाओं का सुंदर चित्रण मिलता है. उन्होंने आकाशवाणी के लिए 1000 से अधिक लघु नाटिकाओं का लेखन और निर्देशन भी किया, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है.
सम्मान और पहचान
जुगानी भाई को उनके साहित्यिक और सामाजिक योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. राहुल सांस्कृत्यायन पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी अकादमी भिखारी ठाकुर सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी अकादमी लोकभूषण सम्मान, विद्या निवास मिश्र सम्मान, सरयू रत्न, और भोजपुरी रत्न सम्मान उनकी उपलब्धियों की सूची में शामिल हैं.
शोध और अध्ययन का विषय
जुगानी भाई के व्यक्तित्व और उनके कार्यों पर दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में शोध प्रबंध भी प्रस्तुत किया गया है. ‘भोजपुरी की समकालीन काव्य चेतना और रवीन्द्र श्रीवास्तव जुगानी’ विषय पर प्रोफेसर रामदरश राय के निर्देशन में पवन कुमार राय ने यह शोध कार्य किया था, जो उनके महत्व को दर्शाता है.
एक युग का अंत, अमर रहेंगी यादें
जुगानी भाई का निधन भोजपुरी साहित्य और रेडियो जगत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है. उनकी आवाज, उनकी कविताएं, और उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा. वे भोजपुरी साहित्य के एक अनमोल सितारे थे, जिनकी चमक कभी फीकी नहीं पड़ेगी.
सीएम ने व्यक्त की संवेदना
रविंद्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी भाई के निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संवेदना जाहिर की. सीएम योगी ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा है —
“भोजपुरी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई’ जी का निधन अत्यंत दुःखद एवं कला व साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है.”