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पाली भाषा में लिखी गई थी दुनिया की सबसे पहली मैनेजमेंट बुक

राजकीय बौद्ध संग्रहालय में आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन के कार्यक्रम का शुभारंभ करते मुख्य अतिथिगण. फोटो: गो गोरखपुर

बौद्ध संग्रहालय में ‘जातक कथाएं: प्रबंधन का प्राचीनतम ग्रंथ’ पर व्याख्यान

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Gorakhpur: गोरखपुर के राजकीय बौद्ध संग्रहालय में बृहस्पतिवार को ‘जातक अट्ठकथाओं में प्रबंध शास्त्रीय तत्व’ विषय पर एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन किया गया. यह व्याख्यान ‘भारतीय संस्कृति अभिरुचि पाठ्यक्रम’ के अंतर्गत आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय व्याख्यान श्रृंखला का दूसरा दिन था. इस व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. जसबीर सिंह चावला ने जातक कथाओं के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इन्हें दुनिया का सबसे प्राचीन प्रबंधन ग्रंथ बताया, जो पाली भाषा में लिखा गया है.

पाली भाषा में लिखी गई थी दुनिया की सबसे पहली मैनेजमेंट बुक
राजकीय बौद्ध संग्रहालय में आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन वक्तव्य देते डॉ. जसबीर सिंह चावला.

जातक कथाएं भगवान बुद्ध के पूर्व जन्म की कहानियां मात्र नहीं

डॉ. चावला ने अपने व्याख्यान में स्पष्ट किया कि जातक कथाएं भगवान बुद्ध के पूर्व जन्म की कहानियां मात्र नहीं हैं, बल्कि इनमें प्रबंधन के विभिन्न सिद्धांतों और तत्वों का गहन वर्णन मिलता है. उन्होंने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए बताया कि चीनी यात्री इत्सिंग ने भी अपने यात्रा वृत्तांत में लिखा है कि प्रबंधन की शिक्षा देने के लिए बौद्ध विहारों में जातक कथाओं का विस्तृत अध्ययन कराया जाता था. इससे इन कथाओं के प्रबंधकीय महत्व का पता चलता है.

जातक कथाओं में कुल 547 अट्ठकथाएं

अपने व्याख्यान में डॉ. चावला ने जातक कथाओं की संरचना और उनकी विशेषताओं पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि जातक कथाओं में कुल 547 अट्ठकथाएं हैं, जिनमें प्रबंधन के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे भ्रष्टाचार प्रबंधन, दांपत्य कलह प्रबंधन, व्यक्तिगत प्रबंधन, कौशल विकास, संचार प्रबंधन आदि का विस्तृत वर्णन मिलता है. उन्होंने इन कथाओं में निहित प्रबंधन सूत्रों को आधुनिक संदर्भों में भी उपयोगी बताया.

जातक कथाओं को सिर्फ धार्मिक चश्मे से मत देखें

इस व्याख्यान का उद्देश्य जातक कथाओं के प्रबंधकीय महत्व को उजागर करना और इनके अध्ययन को बढ़ावा देना था. डॉ. चावला ने इन कथाओं को केवल धार्मिक दृष्टिकोण से देखने की बजाय, प्रबंधन के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में समझने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि इन कथाओं में निहित सिद्धांतों का अध्ययन करके हम आज भी अपने जीवन और कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं.

अट्ठकथाओं पर लघु फिल्में भी प्रदर्शित

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ. इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सामाजिक विज्ञान संकाय के इतिहास विभाग की प्रोफेसर डॉ. मालविका रंजन उपस्थित रहीं. उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में जातक कथाओं की प्रासंगिकता पर बल दिया. मंच का संचालन आकाशवाणी एवं दूरदर्शन की कलाकार श्रीमती रीता श्रीवास्तव ने कुशलतापूर्वक किया. कार्यक्रम में जातक अट्ठकथाओं पर आधारित कुछ चुनिंदा लघु फिल्मों का प्रदर्शन भी किया गया, जिससे दर्शकों को इन कथाओं को समझने में और भी आसानी हुई. कार्यक्रम में डॉ. सुजाता गौतम, डॉ. मांडवी राठौर एवं डॉ. रेखारानी शर्मा सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

Siddhartha Srivastava

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आज, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, हिंदुस्तान, दैनिक जागरण जैसे हिंदी पट्टी के अखबारों में 18 साल तक सांस्थानिक पत्रकारिता की. करीब 2 साल Magnon sancus टीम के साथ सांस्थानिक अनुवादक के रूप में कार्य किया. वर्तमान में Go Gorakhpur के लिए स्वतंत्र लेखन और अनुवाद कार्यों से जुड़ा. Contact:- 9871159904, email:- siddhartha@gogorakhpur.com

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