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कुर्सी पर जमे रहने वालों को आखिर क्यों बनती है इतनी गैस

क्या आप जानते हैं कि आपकी आंत का स्वास्थ्य आपके हार्मोन, वजन और रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है?
कुर्सी पर जमे रहने वालों को आखिर क्यों बनती है इतनी गैस

Gut health in long seating: क्या आप जानते हैं कि आपकी आंत का स्वास्थ्य आपके हार्मोन, वजन और रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है? अगर नहीं, तो यह जान लें कि लंबे समय तक बैठे रहना आपके पाचन तंत्र के लिए हानिकारक हो सकता है.

जब आप घंटों बैठे रहते हैं, तो रक्त प्रवाह कम हो जाता है और पाचन तंत्र पर दबाव बढ़ता है. इससे आपके पेट के अंगों का संकुचन होता है, उनकी गतिशीलता कम होती है और रक्त संचार बाधित होता है. गलत मुद्रा भी पाचन अंगों के संरेखण को बिगाड़ सकती है, जिससे पाचन धीमा हो जाता है और गैस बनती है. इसके अलावा, डायाफ्राम की गति सीमित होने से भी पाचन प्रभावित होता है.

इसीलिए गतिहीन जीवनशैली अक्सर सूजन, आंत्र रोग और कब्ज से जुड़ी होती है. लंबे समय तक बैठे रहने से आंत के माइक्रोबायोम में असंतुलन पैदा हो सकता है, जिससे लाभकारी और हानिकारक बैक्टीरिया का अनुपात बिगड़ जाता है. यह कई पाचन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है.

कब्ज और आंत का स्वास्थ्य
आंत के बैक्टीरिया में असंतुलन होने से पाचन क्रिया बाधित होती है, भोजन धीरे-धीरे आगे बढ़ता है और मल त्याग में कठिनाई होती है. मल जितना अधिक समय तक आंतों में रहता है, उतना ही सख्त होता जाता है, जिससे उसे बाहर निकालना मुश्किल हो जाता है.

आंत के स्वास्थ्य को प्राथमिकता क्यों दें?
स्वस्थ आंत, प्रतिरक्षा, हार्मोन संतुलन, वजन प्रबंधन, हृदय स्वास्थ्य, मस्तिष्क कार्य, मनोदशा और कई बीमारियों से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

क्या किया जा सकता है?

  • सही मुद्रा: सीधे बैठें, कंधों को आराम दें और सही संरेखण बनाए रखें.
  • गतिशील रहें: नियमित रूप से टहलें, स्ट्रेच करें या हल्के व्यायाम करें.
  • सक्रिय कार्यस्थल: स्टैंडिंग डेस्क, वॉकिंग मीटिंग आदि को अपनाएं.
  • पोषक आहार: फाइबर, किण्वित खाद्य पदार्थ और प्रोबायोटिक्स से भरपूर आहार लें.
  • तनाव प्रबंधन: माइंडफुलनेस, गहरी साँस लेने के व्यायाम और पर्याप्त नींद लें.
  • हाइड्रेशन: पर्याप्त पानी पिएं.
  • नियमित व्यायाम: नियमित शारीरिक गतिविधि पाचन तंत्र को बेहतर बनाती है.

जगदीश लाल

About Author

हिंदी पत्रकारिता से करीब चार दशकों तक सक्रिय जुड़ाव. संप्रति: लेखन, पठन-पाठन.

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