Gorakhpur: राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर और पुरवाई कला गोरखपुर द्वारा आयोजित दो दिवसीय पुरवाई लोकोत्सव 2025 का आज योगीराज बाबा गंभीरनाथ सभागार में भव्य समापन हुआ। लोकोत्सव के दूसरे दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, जिसमें लोकगीत, नृत्य, परिधान उत्सव और विलुप्त हो रहे लोकवाद्यों की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम
कार्यक्रम की शुरुआत “संस्कृति की लोक लहर” के साथ हुई, जिसमें नवांकुर कलाकारों ने अपने विविध नृत्यों की शानदार प्रस्तुति दी। नव सृजन डांस एकेडमी, यामिनी कल्चरल ग्रुप, फ्यूजन डांस एकेडमी और पूर्वांचल पब्लिक स्कूल के कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इसके बाद, छात्राओं ने विभिन्न भारतीय परिधानों में परिधान उत्सव प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को पारंपरिक वेशभूषा की झलक दिखाई।
लोकवाद्यों की प्रस्तुति और लोक विमर्श
लोकोत्सव में विलुप्त हो रहे लोकवाद्यों की प्रस्तुति भी हुई, जिसमें हरी प्रसाद सिंह ने विभिन्न वाद्य यंत्रों से दर्शकों को परिचित कराया। संस्कृति विभाग द्वारा धोबिया नृत्य की प्रस्तुति ने आजमगढ़ की लोक संस्कृति को जीवंत कर दिया। “लोक कलाओं में जीवंत होती आस्था” पर एक लोक विमर्श भी आयोजित किया गया, जिसमें डॉ. कुमुद सिंह, रामदरश शर्मा और रीता श्रीवास्तव ने लोक संस्कृति को संरक्षित करने और उसे बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डाला।
अतिथियों का सम्मान और समापन
समापन समारोह में राज्यसभा सदस्य डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने की। भारतीय स्टेट बैंक के उप महाप्रबंधक कुमार आनंद विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
प्रोफेसर पूनम टंडन ने पुरवाई लोकोत्सव की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन उत्तर प्रदेश की संस्कृति की महक को महसूस करने का एक अद्भुत अवसर है। डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने भी संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की प्रशंसा की।
समापन समारोह के बाद, लोक संगीत संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें संजय उपाध्याय ने भिखारी ठाकुर और महेंद्र मिश्रा के गीतों की प्रस्तुति दी। मुख्य अतिथियों ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। हुनरहाट के प्रतिभागियों और पुरवाई लोक कला और गोरखपुर संग्रहालय के संयुक्त आयोजन में शामिल कलाकारों को भी सम्मानित किया गया।
राजकीय बौद्ध संग्रहालय के उपनिदेशक डॉ. यशवंत सिंह राठौर और पुरवाई कला की अध्यक्ष ममता केतन ने सभी आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि इस लोकोत्सव के माध्यम से उत्तर प्रदेश की लोक संस्कृति को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया है।
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