महादेव झारखंडी मंदिर,फोटो-सोशल मीडिया |
GO GORAKHPUR:महानगर स्थित शिवालयों में सोमवार को पूजन- अर्चन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. श्रद्धालुओं ने भगवान भोले शंकर का श्रद्धापूर्वक दूध, बेलपत्र, भांग, धतूरा, मदार, शहद, आदि पूजन सामग्री एवं गंगाजल से जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक किया. इस दौरान वे हर-हर महादेव, बम बम भोले के नारे लगाते रहे और माहौल को भक्तिमय बनाया. प्रायः सब जगह महिला श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा रही. महानगर में तीन पुराने शिवालयों में भक्तों का रेला देखा गया. इनमें महादेव झारखंडी, बाबा मुक्तेश्वर नाथ और मानसरोवर स्थित मंदिर प्रमुख हैं.
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रविवार देर रात तक मंदिरों में तैयारियां चलती रहीं. दिन में मंदिर और परिसर की साफ-सफाई और सजावट का काम हुआ. मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए महिला और पुरुषों की अलग-अलग लाइनें बनाई गई हैं. साथ ही सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं. मंदिरों के आसपास माला-फूल और प्रसाद की दुकानें सजी हुई देखी गईं. श्रद्धालु सुगमता से बाबा के दर्शन और जलाभिषेक कर सकें, इसके लिए बैरिकेडिंग भी की गई है.
भोर में ही पहुंचने लगे श्रद्धालु
बाबा मुक्तेश्वर नाथ, महादेव झारखंडी मंदिर और मानसरोवर शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भोर से ही भीड़ जुटी रही. सुबह 4 बजे से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने पहुंच गए. मंदिरों के आसपास बेलपत्र, धतूरा, भांग, फूल-माला और गंगाजल की भी दुकानें सज गई थीं. खासकर महादेव झारखंडी के आसपास रविवार को ही मेले जैसा माहौल दिखने लगा.
गोरखपुर से देवरिया रोड पर इंजीनियरिंग कॉलेज के आगे स्थित महादेव झारखंडी शिव मंदिर 400 साल पुराना बताया जाता है. शिव सेवा समिति महादेव झारखंडी के कोषाध्यक्ष शिवपूजन तिवारी ने बताया कि ऐसा कहा जाता है कि झारखंडी में एक सूखा वृक्ष था. यहां एक लकड़हारा रहता था. वह वृक्ष काट रहा था. तभी उसकी कुल्हाड़ी वृक्ष से सटे शिवलिंग पर जा लगी और वहां से रक्त बहने लगा. इसकी चर्चा क्षेत्र में फैली तो लोग देखने के लिए इकट्ठा हुए. लोगों ने महसूस किया कि यह प्राकृतिक शिवलिंग है. इसके बाद यहां पूजा-अर्चना शुरू हो गई. लगातार जल और दूध से अभिषेक करने पर रक्त बहना बंद हुआ. उस दिन से झारखंडी को महादेव झारखंडी मंदिर के नाम से जाना जाने लगा. उन्होंने बताया कि झारखंडी शिव मंदिर में 40 से 50 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है. भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रबंधन की ओर से तैयारी पूरी कर ली गई हैं. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्वयंसेवक भी लगाए गए हैं.
महानगर का मुक्तेश्वर नाथ मंदिर
शहर के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित मुक्तेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी रमानाथ ने बताया, वर्षों पहले महाराष्ट्र के एक संत ने ट्रांसपोर्टनगर में बाबा मुक्तेश्वर नाथ की मूर्ति और शिवलिंग की स्थापना की थी. तब से लेकर अब तक पुजारी की 5वीं पीढ़ी मंदिर में सेवा करती आ रही है. मंदिर के स्थापना काल से लोग यहां भगवान शिव को जलाभिषेक करने आ रहे हैं. अब तो दूर-दराज से भी भक्त यहां पहुंचने लगे हैं.
300 साल पुराना है मानसरोवर मंदिर
गुरु गोरक्षनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ ने बताया, गोरखनाथ मंदिर के पास सूरजकुंड स्थित मानसरोवर शिव मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है. मंदिर का निर्माण 300 साल पूर्व तत्कालीन उनवल नरेश राजा मान सिंह ने कराया था. शहर के अंधियारी बाग क्षेत्र में स्थित मानसरोवर शिव मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है. शिवरात्रि और सावन के सोमवार के दिन यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. मंदिर की देखरेख गोरक्षपीठ की ओर से की जाती है. उन्होंने बताया कि सावन के हर सोमवार को भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. इसके लिए पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं.
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