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गोरखपुर में बड़ी खबर: 138 जर्जर भवन गिराए जाएंगे, हाईकोर्ट के फैसले से रास्ता साफ

गोरखपुर में बड़ी खबर: 138 जर्जर भवन गिराए जाएंगे, हाईकोर्ट के फैसले से रास्ता साफ
गोरखपुर नगर निगम 138 जर्जर भवनों को गिराएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से मिली अनुमति, किरायेदार विरोध नहीं कर सकेंगे। माधोपुर, तिवारीपुर में सर्वाधिक जर्जर भवन।

गोरखपुर: गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र में जर्जर हो चुके 138 भवनों को गिराने की राह अब आसान हो गई है। नगर निगम ने इन भवनों को चिह्नित कर उनके स्वामियों को नोटिस जारी कर दिए थे, लेकिन अधिकांश मामलों में किराए को लेकर विवाद होने के कारण निगम सख्ती नहीं दिखा पा रहा था। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले ने नगर निगम को इन जर्जर और खतरनाक ढांचों को गिराने की अनुमति दे दी है, जिससे जनसुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने अलीगढ़ निवासी अशोक कुमार गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए नगर निगम अलीगढ़ को मकान गिराने की अनुमति दी। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने स्पष्ट टिप्पणी की कि “किरायेदार को कोई हक नहीं कि वह जर्जर भवन गिराने का विरोध करे। जिंदगी की सुरक्षा किरायेदारी के अधिकारों से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।”

याचिकाकर्ता ने अदालत में दावा किया था कि उसका 100 साल पुराना भवन जर्जर हो चुका है और उसने इसके पुनर्निर्माण के लिए ध्वस्तीकरण की अनुमति नगर निगम अलीगढ़ से मांगी थी। अधिकारियों ने अनुमति दे दी थी, लेकिन किरायेदारों के विरोध के कारण ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं हो पा रही थी। अदालत ने भवन गिराने की इजाजत देते हुए यह भी निर्देश दिया कि ध्वस्तीकरण से पहले किरायेदारों को उनका सामान घर से हटाने का समुचित अवसर दिया जाए।

कानूनी प्रावधान और गोरखपुर पर असर: किरायेदारी अधिनियम की धारा 21 (2) के तहत मकान मालिक मरम्मत, पुनर्निर्माण या ध्वस्तीकरण के लिए किरायेदारों की बेदखली के लिए आवेदन कर सकता है। वहीं, उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959 की धारा 331(1) यह अधिकार देती है कि यदि कोई संरचना किसी के लिए खतरा बन गई है, तो नगर आयुक्त उसे गिराने का आदेश दे सकते हैं। गोरखपुर नगर निगम के निर्माण विभाग ने पिछले साल भी सभी भवन मालिकों को जर्जर भवनों के ध्वस्तीकरण के लिए नोटिस दिए थे, लेकिन किराएदारी के विवादों के कारण आगे की कार्रवाई नहीं हो पा रही थी। हाईकोर्ट के इस निर्णय से अब गोरखपुर नगर निगम भी ऐसे भवन मालिकों को राहत दे सकेगा और जनसुरक्षा के हित में आवश्यक कार्रवाई कर पाएगा।

इन इलाकों में सर्वाधिक जर्जर भवन: गोरखपुर शहर में माधोपुर और तिवारीपुर में जर्जर भवनों की संख्या सर्वाधिक है। माधोपुर में 49 और तिवारीपुर में 26 जर्जर भवन चिह्नित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, सूर्यकुण्ड में 13, चस्का हुसैन में 09, दीवान बाजार, धर्मशाला बाजार, दीवान दयाराम, गिरारगंज, इस्माइलपुर, छोटेकाजीपुर, रायगंज रोड, बसंतपुर रोड, भरटोलिया, हांसुपुर, कालीबाड़ी मंदिर, खुद्दी टोला जंगल तुलसीराम, अयोया टोला हरिजन बस्ती, मानबेला, बंगला टोला, सूडिया कुंआ, असुरन विष्णु मंदिर, रसूलपुर आंशिक, गोरखनाथ, दिलेजाकपुर, जटेपुर दक्षिणी, मोहद्दीपुर, बसंतपुर खास, असकरगंज, और खोखर टोला में भी जर्जर भवन और दुकानें चिह्नित की गई हैं। यह फैसला शहर में सुरक्षित और व्यवस्थित शहरीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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गो गोरखपुर ब्यूरो

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