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राजकीय बौद्ध संग्रहालय में 39वें स्थापना दिवस पर आयोजित होगी टेराकोटा कला कार्यशाला एवं प्रदर्शनी

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राजकीय बौद्ध संग्रहालय में 39वें स्थापना दिवस पर आयोजित होगी टेराकोटा कला कार्यशाला एवं प्रदर्शनी
राजकीय बौद्ध संग्रहालय में 39वें स्थापना दिवस पर आयोजित होगी टेराकोटा कला कार्यशाला एवं प्रदर्शनी

गोरखपुर: राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर (संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश) अपने 39वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक विशेष सात दिवसीय टेराकोटा कला प्रशिक्षण कार्यशाला एवं प्रदर्शनी का आयोजन कर रहा है। यह कार्यक्रम 4 मई से 10 मई 2025 तक चलेगा, जिसमें आजमगढ़ (निजामाबाद) की प्रसिद्ध टेराकोटा कला को केंद्र में रखा गया है।

कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ

कार्यशाला का शुभारंभ 4 मई 2025 (रविवार) को होगा, जबकि प्रदर्शनी 10 मई 2025 (शनिवार) को आयोजित की जाएगी। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अधिकतम 50 प्रतिभागियों का चयन “प्रथम आगत, प्रथम स्वागत” के आधार पर किया जाएगा।

पंजीकरण प्रक्रिया एवं योग्यता

इच्छुक प्रतिभागियों के लिए पंजीकरण फॉर्म 14 अप्रैल से 1 मई 2025 तक राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर से किसी भी कार्यालय दिवस में निःशुल्क प्राप्त किए जा सकते हैं। पंजीकरण फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 1 मई 2025 है।

कार्यक्रम में भाग लेने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता स्नातक है, हालाँकि परास्नातक छात्र, शोधार्थी और टेराकोटा कला में रुचि रखने वाले अन्य व्यक्ति भी आवेदन कर सकते हैं। प्रतिभागियों की न्यूनतम आयु 18 वर्ष निर्धारित की गई है, जबकि अधिकतम आयु सीमा नहीं रखी गई है।

संपर्क सूत्र

अधिक जानकारी के लिए संग्रहालय प्रशासन से 8922919252 पर संपर्क किया जा सकता है। संग्रहालय के निदेशक ने बताया कि यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, विशेष रूप से आजमगढ़ की टेराकोटा कला को बढ़ावा देने और नई पीढ़ी तक पहुँचाने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है।

कार्यक्रम का महत्व

यह कार्यशाला प्रतिभागियों को पारंपरिक टेराकोटा कला की बारीकियों सीखने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगी। कार्यक्रम के अंतिम दिन आयोजित होने वाली प्रदर्शनी में प्रतिभागियों द्वारा बनाए गए कलाकारों को प्रदर्शित किया जाएगा, जिससे स्थानीय कला प्रेमियों को इस पारंपरिक कला रूप की सुंदरता देखने का मौका मिलेगा।

राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर के उप निदेशक यशवंत सिंह राठौर ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से न केवल क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में मदद मिलेगी, बल्कि युवा पीढ़ी को पारंपरिक कलाओं से जोड़ने का भी अवसर मिलेगा। सभी रुचि रखने वाले व्यक्तियों से इस अनूठे कार्यक्रम में भाग लेने और उत्तर प्रदेश की समृद्ध कला परंपरा को सीखने का आग्रह किया गया है।

Priya Srivastava

Priya Srivastava

About Author

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में परास्नातक. gogorakhpur.com के लिए हेल्थ, सिनेमा, टेक और फाइनेंस बीट पर रिसर्च करती हैं. 'लिव ऐंड लेट अदर्स लिव' की फिलॉसफी में गहरा यकीन.

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