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Gorakhpur: …फिर एम्स गोरखपुर के सर्जरी विभाग ने एक और जटिल, हाई-रिस्क सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देकर नया रिकॉर्ड बना दिया. 75 वर्षीय मरीज, जिसकी पीठ पर 8 किलो का विशालकाय ट्यूमर (सारकोमा) था, उसका यह ट्यूमर पहले 2022 में लखनऊ में हटाया जा चुका था. तीन वर्षों में यह फिर से उभर आया और काफी बड़ा हो गया. मरीज को कई अस्पतालों से निराशा हाथ लगी. उसकी उम्र, हृदय रोग और रक्तस्राव के खतरे के चलते यह केस बहुत जोखिम भरा था.
एम्स गोरखपुर बना मरीज की आखिरी उम्मीद
जब अन्य अस्पतालों में ऑपरेशन संभव नहीं हो पाया, तो मरीज एम्स गोरखपुर के सर्जरी विभाग में पहुंचा, जहां विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. गौरव गुप्ता ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उसे भर्ती कर लिया और हाई-रिस्क सर्जरी की योजना बनाई. मरीज की आयु और चिकित्सीय जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए, पहले एनेस्थीसिया विभाग की टीम से व्यापक परामर्श किया गया.
तीन घंटे चले ऑपरेशन में चिकित्सकों ने रचा नया कीर्तिमान
मंगलवार को सर्जरी विभाग के विशेषज्ञों की टीम—प्रो. डॉ. गौरव गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. धर्मेंद्र पीपल, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रजनीश, सीनियर रेसिडेंट डॉ. शालिनी, तथा जूनियर रेसिडेंट डॉ. आदित्य और डॉ. तनुश्री—ने मिलकर इस जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. सर्जरी के दौरान मरीज को अत्यधिक रक्तस्राव की संभावना थी, इसलिए उसे सेंट्रल लाइन डालकर 2 यूनिट रक्त चढ़ाया गया.
इस ऑपरेशन में एनेस्थीसिया विभाग की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण रही, क्योंकि मरीज की उम्र और हृदय संबंधी समस्याओं के कारण एनेस्थीसिया देना बेहद चुनौतीपूर्ण था. एचओडी प्रो. डॉ. विक्रम वर्धन, प्रो. डॉ. संतोष शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीमा यादव, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सोनल और जूनियर रेसिडेंट डॉ. अरुंधति ने पूरी सावधानी और विशेषज्ञता के साथ मरीज को एनेस्थीसिया दिया.
मरीज की हालत स्थिर, शीघ्र स्वस्थ होने की उम्मीद
करीब तीन घंटे चले इस ऑपरेशन के बाद मरीज को पोस्ट-ऑपरेटिव एनेस्थीसिया आईसीयू में रखा गया, जहां उसकी स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है. पूरी तरह होश में आने के बाद उसे सर्जिकल आईसीयू में शिफ्ट किया जाएगा.
एम्स गोरखपुर में उच्च स्तरीय जटिल सर्जरी संभव
इस सफल ऑपरेशन के बाद एम्स गोरखपुर में उन्नत और जटिल सर्जरी के लिए विश्वास और आशा की एक नई किरण जगी है. इस उपलब्धि पर एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मेजर जनरल प्रो. विभा दत्ता ने सर्जरी और एनेस्थीसिया विभागों की टीम को बधाई दी और इसे संस्थान के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया.
मरीज के परिजन भी इस सफलता से अत्यंत खुश और आभारी हैं, क्योंकि यह ऑपरेशन उनके लिए उम्मीद की आखिरी किरण था. एम्स गोरखपुर अब न केवल पूर्वांचल बल्कि पूरे उत्तर भारत के मरीजों के लिए जटिल सर्जरी का एक विश्वसनीय केंद्र बनता जा रहा है.